प्रदेश के एक छोर पर स्थित सिरसा के गांवों में कोरोना भयंकर असर दिखा रहा है। राजस्थान और पंजाब की सीमा से सटे वीवीआईपी गांव चौटाला में हालात नाजुक हैं। पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के पैतृक गांव के चार लोग मौजूदा विधायक हैं। इनमें डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, मंत्री रणजीत सिंह, नैना चौटाला और अमित सिहाग शामिल हैं। पर, इन दिनों यह गांव राजनीतिक रसूख नहीं, कोरोना की मार के कारण सुर्खियों में है।
20 हजार की आबादी वाले गांव में 1500 संक्रमित मिल चुके हैं। ग्रामीणों की मानें तो औसतन हर घर में एक कोरोना मरीज है। सरकारी आंकड़े इन दावों से मेल नहीं खाते, पर श्मशान घाट हकीकत बयां कर रहा है, जहां 15 दिनों से रोज औसतन दो लाशें जल रही हैं। गंभीर मरीज को राजस्थान के हनुमानगढ़ या पंजाब के बठिंडा ले जाना पड़ता है।
ऑक्सीजन की व्यवस्था भी 28 किमी दूर डबवाली में है। ग्रामीण कहते हैं कि वे यहां के अस्पताल जाने से डरते हैं। स्टाफ को रेफर ही करना होता है। इन हालात के बीच एक पीड़ा यह भी है कि सियासी रसूख वाले गांव में कोई भी नेता हाल पूछने नहीं पहुंचा। ग्रामीण नेताओं को कोसते हुए कहते हैं कि अब इनसे उम्मीद नहीं।
स्वतंत्रता सेनानी गंगराम घोटिया के पोते धोलूराम रूआंसे होकर कहते हैं कि नेता कम से कम यही पूछने आ जाते कि गांव में कितने वोट कम हो गए। कुछ तो सब्र हो जाता। उन्होंने बताया कि पंचायत भंग होने के बाद से सैनिटाइजेशन के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है।
40 घर के लोग मिलकर 15 हजार रुपए का चंदा करके अपने स्तर पर सैनिटाइजेशन करवाते हैं। गांव के बीचों-बीच धन्नाचौक अगुणिया वास में बरगद के पेड़ के नीचे साहबराम, फूलसिंह, हेतराम, रामकुमार पंच, सुखलाल, मनीराम व बनवारी लाल सोशल डिस्टेंसिंग से उकड़ू बैठे थे। पूछने पर कहते हैं कि कोरोना का खतरा है, पुलिस टोके उससे पहले ही खुद ही अनुशासन से बैठे हैं।
पर एक चिंता सबके माथे पर दिखती है। वह है संक्रमण का बढ़ता खतरा और लगातार हो रही मौतें। वहीं, ओढ़ां में जगदीश और गगनदीप ने कहा कि कोरोना पिछली बार से ज्यादा खतरनाक है, लेकिन व्यवस्था नही हैं। सरपंच के पति कृष्ण कुमार के अनुसार, ओढ़ां में 20 दिन में ही करीब 22 मौतें हो चुकी हैं। गांव में 250 से ज्यादा सक्रिय केस हैं।
1500 लोग संक्रमित हो चुके, फिर भी ग्रामीणों का कहना- खारे पानी से फैल रही खांसी और जुकाम
कोरोना फैलने को लेकर चाैटाला गांव में कई भ्रांतियां भी हैं। कुछ ग्रामीण कहते हैं कि स्वच्छ पेयजल ना मिलने के कारण यह समस्या बनी है। पहले कैंसर फैल रहा था। अब खांसी-जुकाम की शिकायत। गांव में आज भी कैंसर के 50 से ज्यादा मरीज हैं। दूषित भूमिगत पानी इसकी वजह है। हर रोज पंजाब से आने वाली कैंसर ट्रेन में चौटाला गांव के 8 से 10 ग्रामीण बीकानेर में इलाज के लिए जाते हैं।
कालांवाली:30 गांव पर 1 सीएचसी, वहां भी न पूरे डॉक्टर न ही नर्स
मंडी कालांवाली सामुदायिक स्वास्स्थ्य केंद्र पर 30 गांवों के स्वास्थ्य की देखभाल का बोझ है, लेकिन सिस्टम कमजोर है। इस सीएचसी में 7 डॉक्टरों के पद मंजूर है, लेकिन सेवाओं में 3 ही डॉक्टर तैनात हैं। नर्स के लिए यहां पर 8 पद मंजूर है, लेकिन फिलहाल दो ही स्टाफ नर्स तैनात हैं।
दो बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है, लेकिन कोरोना के संदिग्ध मरीजों के लिए। गंभीर केसों में मरीजों को सिरसा रेफर किया जाता है। वहीं होम आइसोलेशन वालों के लिए हेल्थ किट कब तक आएगी। यहां के डॉक्टरों को भी नहीं पता है।
सीएचसी-पीएचसी केवल रेफर करने के लिए
पन्नीवाला मोटा
बुखार की एक हजार गोली की रोज खपत
पन्नीवाला मोटा गांव के बाहर पुलिस का नाका है। सड़क पर 700 मीटर तक गेहूं बिखरा पड़ा है। हम गांव की एक शोक सभा में पहुंचे। दो दिन पहले ही भाई को खो चुके दीपक माहेश्वरी ने 10 दिन में 12 मौतें गिनवा दीं। गांव में पीएचसी जरूर है, लेकिन ना ऑक्सीजन है और ना पर्याप्त दवा। स्टाफ भी कम है। पीएचसी में दवाओं की खपत सच्चाई बयां करती है।