जिस वैक्सीन को लेकर महीनों इंतजार करना पड़ा था, उसकी बर्बादी में बिहार कम नहीं है। वैक्सीन की बर्बादी करने वाले देश के टॉप टेन राज्यों में बिहार 6वें स्थान पर है। मेघालय, तमिलनाडु, दमन और मणिपुर से भी अधिक वैक्सीन की बर्बादी बिहार में हुई है। वैक्सीनेशन के शुरुआती दौर में सबसे अधिक वैक्सीन की बर्बादी हुई थी। डोज का कॉबिनेशन और लाभार्थियों की संख्या में मैच नहीं करने के कारण समस्या आई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट से खुलासा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के रिपोर्ट में वैक्सीन को बर्बाद करने वाले देश के 10 राज्यों की सूची तैयार की गई है। केंद्र सरकार ने 9 मई तक की रिपोर्ट जारी की है। सबसे अधिक वैक्सीन की बर्बादी करने वाला राज्य लक्षद्वीप है और सबसे कम वैक्सीन की बर्बादी करने वाला राज्य मणिपुर है।
स्टेटवाइज वैक्सीन बर्बादी का प्रतिशत
- लक्ष्दीप – 22.74%
- हरियाणा – 6.65%
- आसाम – 6.07%
- राजस्थान – 5.50%
- बिहार – 4.96 %
- दमन – 4.93%
- मेघालय – 4.21%
- तमिलनाडु – 3.94%
- मणिपुर – 3.56%
नालंदा मेडिकल कॉलेज में वैक्सीनेशन की पड़ताल में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। देश के वैज्ञानिकों ने रात-दिन जाग कर जिस वैक्सीन को तैयार किया, उसकी डोज यहां फेंकी जा रही थी। PMCH के वैक्सीन सेंटर पर 3 दिनों में 27 डोज बर्बाद हुई है थी। NMCH में कोवैक्सिन की डोज दी जा रही थी। इसकी एक वायल में 20 डोज होती थी, इस वैक्सीन सेंटर पर तीन दिनों में 27 डोज बर्बाद हुई।
16 जनवरी को 31 हेल्थ वर्करों, 17 जनवरी को 28 हेल्थ वर्करों को टीका लगा था। 19 जनवरी को 11 हेल्थ वर्कर वैक्सीन लिए थे। जो भी संख्या वैक्सीन लेने वालों की रही, वह वैक्सीन की डोज के बराबर नहीं थी। ऐसे में हर दिन वैक्सीन की डोज बेकार हुई।
साभार – dainik bhaskar