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Bihar: गांव की 40% आबादी खांसी और बुखार से पीड़ित, अब तक नहीं हुई कोरोना की जांच, दहशत में लोग

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बिहार में कोरोना की दूसरी लहर से कोहराम मचा हुआ है। तेजी से फैल रहे संक्रमण से कोरोना के नए मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक बिहार में कोरोना से संक्रमित नए मरीजों की संख्या 15 हजार 853 है जो अब तक के आंकड़ों में सबसे ज्यादा है। गया जिले में कोरोना से संक्रमित नए मरीजों की संख्या 1203 पहुंच गयी है। कोरोना की बढ़ते रफ्तार को लेकर सरकार द्वारा बेहतर स्वास्थ्य की व्यवस्था के दावे भी किए जा रहे हैं। लेकिन गया के डुमरिया स्थित बरहा गांव में ये तमाम दावे गलत साबित हो रहे हैं।

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हम बात एक ऐसे गांव की कर रहे हैं जहां 40% की आबादी खांसी और बुखार से पीड़ित है। जो घरेलू नुख्सा अपनाकर और दवा खाकर घर में रहने को विवश हैं। इस गांव में एक उप स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन यहां स्वास्थ्यकर्मी रहते ही नहीं हैं। कोरोना की जांच के लिए इनके पास कोई साधन भी नहीं है कि वे गांव से 25 किलोमीटर दूर स्थित डुमरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाए। ऐसे में अब तक गांव के लोगों की कोरोना जांच नहीं हो पाई है।

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गया के डुमरिया प्रखंड स्थित बरहा गांव के 500 घरों में से 200 घर में लोग खांसी और बुखार से पीड़ित हैं। कोरोना की आशंका से लोग काफी भयभीत हैं। लेकिन अभी तक इनकी सुध नहीं ली गयी है। एक साथ कई लोग यहां बुखार और खांसी की समस्या से पीड़ित है लेकिन कोरोना की जांच भी अब तक नहीं की जा सकी है। ऐसे में यदि संक्रमण बढ़ा तो यहां की स्थिति और भयावह हो जाएगी।

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इस बात की जानकारी स्थानीय मुखिया संजय प्रसाद ने कई बार अस्पताल अधीक्षक को दी लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया। यही कारण है कि आज तक ना तो गांव में इलाज की व्यवस्था कराई गयी और ना ही कोरोना जांच के लिए टीम ही भेजी गयी। ऐसे में ग्रामीण चिकित्सक के भरोसे गांव के लोग घर में ही अपना इलाज करा रहे हैं। ग्रामीण चिकित्सक लोगों को खांसी और बुखारी की दवा दे रहे हैं। एक साथ कई घरों में लोगों के बीमार होने से कईयों ने खुद को भी घरों में कैद कर लिया है। यही कारण है कि पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई लोगों की जान खतरे में हैं। इस गांव के 200 घरों में लोग खांसी और बुखार से पीड़ित हैं यदि उनमें कोरोना के लक्षण पाए गये तो संक्रमण फैलने से रोक पाना बेहद मुश्किल होगा। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि इस गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम को भेजकर पीड़ित ग्रामीणों की कोविड टेस्ट कराई जाए और उनका इलाज किया जाए।

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