जुलाई 2020 में कोरोना पॉजिटिव हुए. हालात बिगड़ी तो कई अस्पतालों के चक्कर के बाद एक अस्पताल में ऑक्सीजन मिला. वह भी बेड नहीं होने पर उन्हें जमीन पर ही नाली के किनारे लिटा करके ऑक्सजीन दिया गया. तबीयत बिगड़ रही थी. फिर तय किए कि घर चले जाएं और मरना भी होगा तो घर पर मरेंगे. किसी तरह घर आएं.

उनकी पत्नी ने 3 ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की. उनकी जान बच गई. इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि क्यों न वे लोग ऑक्सीजन बैंक बनाएं. जरूरतमंदों को ऑक्सीजन दें. पत्नी इसके लिए तैयार हो गईं और एक नया सफर शुरू हो गया, जिसके बाद लोग उन्हें ‘ऑक्सीजन मैन’ के नाम से जानने लगे.

ये कहानी है बिहार की राजधानी पटना में रहने वाले गौरव राय की. वह पटना में कारों के लिए हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने वाली एक कंपनी में मैनेजर हैं. वह अपनी पत्नी अरुणा भारद्वाज के साथ मिलकर एक ऑक्सीजन बैंक बनाए हुए हैं और राज्य के 21 जिले में जरूरतमंदों को फ्री में ऑक्सीजन देते हैं.

वह कहते हैं, जब लोग उन्हें फोन करके कहते हैं कि ऑक्सीजन सिलेंडर कितने का देंगे और मैं जवाब देता हूं कि फ्री में तो उन्हें लगता है कि मैं मजाक कर रहा हूं. कई लोग तो फोन काट देते हैं. फिर जब समझ में आता है तो कॉल करते हैं और हम लोग उनकी मदद करते हैं.

गौरव कहते हैं, मेरी जिंदगी 3 घंटे की ऑक्सीजन की सप्लाई से बची थी और अब मैं चाहता हूं कि कोई भी ऑक्सीजन की कमी से ना मरे. बस इसी अभियान में लगा हुआ हूं. अपनी एक कार रखा हूं और उससे जो भी जहां भी कहता है, वहां मैं ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर हाजिर हो जाता हूं. जिसके पास संशाधन होते हैं, वे मेरी ऑफिस तक चले आते हैं और सिलेंडर लेकर जाते हैं.

गौरव कहते हैं, पत्नी अरुणा सबसे पहले तीन ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आई थीं. इसके बाद अमेरिका में रह रहे उनके एक दोस्त ने 3 ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे. इससे वे सेवा कार्य में लग गए. धीरे-धीरे उनके पास 54 ऑक्सीजन सिलेंडर हो गया. वह कोरोना काल में लगातार लोगों की सेवा करने लगे. इस बीच बिहार फाउंडेशन की तरफ से उन्हें 200 ऑक्सीजन सिलेंडर मिल गए. बस इसके बाद उन्होंने 21 जिले में नेटवर्क तैयार किया और लोगों को फ्री में ऑक्सीजन सप्लाई देने लगे.

गौरव ऑफिस के बाद जो भी समय मिलता है उससे लोगों की सेवा में लगे रहते हैं. वह कोरोना के फर्स्ट फेज होली के पहले तक 1103 लोगों तक सिलेंडर पहुंचाए हैं. इसमें 166 लोग हॉस्पिटल गए और 32 लोगों की मृत्यु हुई. इसके अलावा सभी लोगों की जान बच गई. इसके बाद कोरोना के सेकेंड फेज में अबतक 389 लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर दे चुके हैं. इसमें दुर्भाग्य से 14 लोगों की मृत्यु हुई और 200 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं. बाकियों का इलाज चल रहा है.

गौरव कहते हैं, वह जहां भी ऑक्सीजन पहुंचाते हैं वहां मरीज के ठीक हो जाने के बाद दोबारा भी पहुंचते हैं. उस समय वे अपने साथ केक ले जाते हैं और उनके स्वस्थ होने को सेलिब्रेट करते हैं. इससे उन्हें अहसास होता है कि किसी की जिंदगी बचाने से बड़ा इस दुनिया में कुछ भी नहीं है. इस पूरे अभियान में उनका साथ उनकी पत्नी और ऑफिस के साथी देते हैं.

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