blank 29 12

भारत में कोरोना संकट के बीच उपजे बदतर हालात के बीच अपने दोस्त को मदद न पहुंचाने को लेकर अमेरिका के बाइडेन प्रशासन की कड़ी आलोचना हो रही है। आलोचना करने वालों में खुद डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य और समर्थक भी शामिल हैं। बाइडेन प्रशासन पर एस्ट्राजेनेका टीका और कई जीवनरक्षक चिकित्सीय आपूर्तियों के साथ अन्य कोविड-19 वैक्सीन को भारत भेजे जाने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। दबाव बनाने वालों में शक्तिशाली अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स, सांसद और प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी शामिल हैं। बढ़ते दबाव के बीच अब अमेरिकी विदेश मंत्री ऐंटनी ब्लिंकेन ने ऐलान किया है कि यूएस कोरोना महामारी से निपटने के लिए भारत को जल्द से जल्द मदद पहुंचाएगा।

Also read: बिहार में फिर होगी मूसलाधार बारिश, इन जिलों में गरजेंगे बादल

शनिवार को ब्लिंकेन ने ट्वीट किया, ‘कोविड-19 के इस भयावह कहर के बीच हमारी संवेदनाएं भारतीय लोगों के साथ है। हम भारत सरकार में हमारे सहयोगियों के साथ लगातार करीबी से काम कर रहे हैं और भारत के लोगों, भारत के हेल्थ केयर सेक्टर के हीरो के लिए जल्द ही अतिरिक्त सहायता भेजेंगे।’ अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने भी कहा है कि भारत में कोरोना संकट को लेकर अमेरिका बहुत चिंतित है और हम दिन-रात काम कर रहे हैं। 

Also read: बिहार में इस दिन से होगी मूसलाधार बारिश, इन जिलों में चलेगी तेज हवा

गोदाम में रखी है वैक्सीन, लेकिन भारत को नहीं भेज रहा US
भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने बाइडन प्रशासन से उन देशों के लिए एस्ट्राजेनेका टीके की खुराकें देने का आग्रह किया है जो फिलहाल कोविड-19 के घातक रूप से बढ़ते मामलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘जब भारत और दूसरी जगहों पर लोगों को मदद की बहुत जरूरत है तब हम टीकों को गोदाम में यूं ही नहीं रख सकते हैं, हमें उन्हें वहां पहुंचाना होगा जहां उनसे जानें बच सकती हैं। अमेरिका के भंडार में हमारे पास एस्ट्राजेनेका टीके की करीब चार करोड़ खुराकें पड़ी हैं, ऐसा भंडार जिसका हम इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं और जो हमने मेक्सिको और कनाडा में कोविड-19 से लड़ने के लिए पहले ही खोल दिया है।’

अपने ही उठा रहे सवाल!
बाइडेन के राष्ट्रपति चुनाव अभियान का हिस्सा रही, भारतीय-अमेरिकी सोनल शाह ने कहा कि उन्होंने भारत में अपने परिवार के पांच सदस्यों को खो दिया है। शाह ने कहा, ‘भारत में कोविड संकट बहुत भयावह है और यह अगर इससे भी ज्यादा भयावह हुआ तो यह एक मानवीय संकट बन जाएगा। हमारी सरकार को कुछ करने की जरूरत है। यह बहुत जल्द अन्य देशों में भी फैल जाएगा।’

दुश्मन दे रहे मदद लेकिन दोस्त ने साधी चुप्पी!
ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट की तन्वी मदान ने एक ट्वीट में कहा कि बाइडेन प्रशासन पिछले कुछ महीनों में अर्जित साख को गंवा रहा है। मदान ने कहा ‘भारत के लोगों ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और ईरानी विदेश मंत्री के ट्वीट देखे हैं, रूस और चीन से मदद की पेशकश देखी है-ऐसे देश से भी जिससे उसकी शत्रुता है लेकिन उसे अमेरिका के किसी वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से कोई पेशकश नहीं मिली है। बाइडेन प्रशासन पिछले कुछ महीनों में हासिल साख को गंवा रहा है।’

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.