Site icon APANABIHAR

Bihar News: खेत आते हैं, फिल्म देखते हैं, एक बटन दबाकर करते हैं खेती और कमाई लाखों में

blank 5 5

बिहार के समस्तीपुर जिले में रहने वाले किसान सुधांशु कुमार की दिनचर्या, कुछ ऐसी है कि वह हर दिन अपने Fully Automated Farm में आते हैं, शेड में अपनी बाइक पार्क करते हैं और वहां बने एक कंट्रोल रूम में बैठते हैं। कुछ देर बाद, वह दिन में कोई फिल्म देखने के लिए, किसी एक फिल्म को चुनते हैं। इसके बाद, वह अपनी कुर्सी पर लगे एक पैनल के बगल वाला बटन दबाते है।

Also read: बिहार में फिर होगी मूसलाधार बारिश, इन जिलों में गरजेंगे बादल

बटन दबाते ही उनके फलों के बागों पर सिंचाई और फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस बीच वह आराम से बैठ कर पूरी फिल्म का मज़ा लेते हैं। फिल्म पूरी होने तक, उनके 35 एकड़ के बाग पर सिंचाई भी पूरी हो जाती है। सुधांशु अपने सामानों को इकट्ठा करते है, सिस्टम बंद करते हैं और घर वापस चले जाते हैं।

Also read: बिहार में इस दिन आएगा मानसून, जाने कहां कहां होगी बारिश

अब सुधांशु को खेतों की कम निगरानी और कम श्रमिकों की ज़रूरत होती है। वह खेती के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं। खेती के माध्यम से वह लाखों की कमाई कर, गुणवत्ता से भरपूर उत्पादन भी कर रहे हैं। अपने 60 एकड़ के खेत में, उन्होंने आम, केला, अमरूद, जामुन, लीची, ब्राजील के मौसम्बी और ड्रैगन फ्रूट/ कमलम के 28 हजार पेड़ उगाए हैं। जिससे उन्हें सालाना 80 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होता है।

Also read: बिहार को भीषण गर्मी से मिलेगी राहत, दो दिनों तक होगी बारिश

सुधांशु ने 1990 से खेती करना शुरु किया था। उन्होंने उपज और आर्थिक लाभ बढ़ाने के लिए, हमेशा ही वैज्ञानिक तकनीकों के इस्तेमाल पर जोर दिया है।

Also read: बिहार में इस दिन से होगी मूसलाधार बारिश, इन जिलों में चलेगी तेज हवा

उन्होंने कहा कि यह सब सालों पहले शुरू हुआ था। जब उन्होंने केरल के मुन्नार में ‘टाटा टी गार्डन’ में एक असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी के ऑफर को ठुकरा दिया और खेती करने के लिए घर लौट आए। 58 वर्षीय सुधांशु कहते हैं, “मेरे दादा और पिता किसान थे और मैं परंपरा को जारी रखना चाहता था। लेकिन मेरे पिता चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेज में जाऊं। मेरे बहुत आग्रह करने के बाद, पिता ने बेमन से मुझे उनकी पांच एकड़ की बेकार पड़ी जमीन पर खेती करने की अनुमति दी। “

टेक्नोलॉजी और खेती

दरअसल, सुधांशु के पिता के लिए यह बेकार पड़ी जमीन सुधांशु को देना, उनका टेस्ट लेने का एक तरीका था। वह देखना चाहते थे कि क्या वह वास्तव में ऐसे जगह की देखभाल कर सकते है, जिसमें जंगली पौधे अधिक थे। सुधांशु बताते हैं, “मैंने पूसा में ‘डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय’ में वैज्ञानिकों से सलाह ली कि टेक्नोलॉजी के ज़रिए, खेत को फिर से जीवंत कैसे किया जा सकता है। एक साल की कड़ी मेहनत और 25 हजार रुपये खर्च करने के बाद, मैंने 1.35 लाख रुपये कमाए। यह एक बड़ी उपलब्धि थी। क्योंकि, उस जमीन से हमने कभी भी 15 हजार रुपये से अधिक नहीं कमाए थे।”

इस आय के साथ, सुधांशु ने सबसे पहले एक ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर खरीदा। जिसकी कीमत 40 हजार रुपये थी। यहाँ से, उनका ऑटोमेशन और टेक्नोलॉजी की मदद से खेती करने का सफ़र शुरू हुआ। आज उसी पांच एकड़ जमीन से, वह प्रति वर्ष 13 लाख रुपये कमाते हैं।

Exit mobile version