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आंध्र प्रदेश में वेस्ट गोदावरी जिले की एलुरु नहर के किनारे इन दिनों गधों के खून और अवशेषों से भरे हैं

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यहां बड़ी संख्या में गधों को भेड़-बकरियों की तरह काटा जा रहा है. आलम यह है कि आंध्र प्रदेश में गधों की संख्या बहुत कम हो गई है

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इसलिए उन्हें दूसरे राज्यों से लाकर मारा जा रहा है. केवल वेस्ट गोदावरी नहीं, आंध्र प्रदेश के कई जिलों में गधों की अंधाधुंध कटाई हो रही है

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भारत में गधों को विलुप्त होने वाले जानवरों की लिस्ट में रखा गया है

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भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी एफएसएसएआई के मुताबिक, गधे ‘फूड एनीमल’ के तौर पर रजिस्टर्ड नहीं हैं

इन्हें मारना अवैध है. लेकिन आंध प्रदेश में गधों को मारकर उनके अवशेषों को नहरों में फेंका जा रहा है

सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डालते हुए. बाजार में उनका मांस करीब 600 रुपये किलो बिक रहा है. मीट बेचने वाले एक गधा खरीदने के लिए 15 से 20 हज़ार रुपये तक दे रहे हैं

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक , आंध्र प्रदेश के लोगों को लगता है कि गधे का मांस कई समस्याओं को दूर कर सकता है

वे मानते हैं कि इसे खाने से सांस की समस्या दूर हो सकती है. उन्हें यह विश्वास भी है कि गधे का मांस खाने से यौन क्षमता भी बढ़ती है

इस कारण केवल पश्चिम गोदावरी ही नहीं, बल्कि आंध्र प्रदेश के कई जिलों में गधों को मारा जा रहा है. इनमें कृष्णा, प्रकाशम और गुंटूर जिलों सहित कई दूसरे इलाके शामिल हैं

यहां उनके मांस की खपत बहुत तेजी से बढ़ी है

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.