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आज हम बात कर रहे हैं भारत के 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में. द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी और पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं. इनके जीवन में काफी मुसीबतें आई है, लेकिन उन्होंने लोगो की सेवा करना नहीं छोडी. उनकी कठिनाइयों से भड़ी राजनितिक सफ़र रंग लाई और आखिरकार भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी.

द्रोपति मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 मैं मयूरभंज, ओडिशा राज्य बाइदापोसी गांव (Baidaposi Village) में हुआ था. द्रोपति मुर्मू पहले एक टीचर थी. रायरंगपुर के श्री ऑरोबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बिना सैलरी के पढाया करती थी. द्रोपति मुर्मू का राजनीतिक सफर की शुरुआत 1997 में हुआ.

उन्होंने रायरंगपुर सिविल बॉडी के कांसिलर और वायसचेयर पर्सन का पद संभाली. 1997 में उन्हें बीजेपी, एसटी मोर्चा के प्रसिडेंट का कुर्सी इन्हे मिला. 2000 से 2004 के बीच ओडिशा सरकार के वाणिज्य और परिवहन मंत्रालय की मिनिस्टर ऑफ स्टेट के पद पर रही. द्रोपति मुर्मू ने पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्रालय का भी कार्य संभाली. 2007 के इन्हे बेस्ट एमएलए से पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

द्रौपदी मुर्मू के जीवन में बहुत सारे मुश्किलें आए, उनके पति और दो बेटे की मौत हो चुकी है. इतनी मुश्किल आने के बाद ही भी द्रोपति मुर्मू ने लोगों की सेवा नहीं छोरी और झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रही. उसके बाद उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया . 25 जुलाई को द्रोपति मुर्मू राष्ट्रपति पद की शपथ ली और देश की दूसरी और उड़ीसा की पहली महिला राष्ट्रपति बनी.