मत हारना तू कभी कोशिश करने से, बडा से बडा पर्वत भी हिल जाएगा, सब्र रख कर मेहनत करता जा, एक दिन उसका फल भी मिल जाएगा. ऐसा ही एक किसान के बेटा था . जिनका नाम Arokiaswamy Velumani है. जो थायरॉइड कंपनी का मालिक बनने के सफर में काफी संघर्ष करना पड़ा.
Arokiaswamy Velumani का जन्म एक अत्यंत गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिताजी एक साधारण किसान थे. लेकिन उनके पास जमीन नहीं थी. उन्होंने अपना बचपन काफी मुश्किलें में बिताए. गरीबी के कारण उनके पिता उन्हें कपड़े और जूते चप्पल तक दिला नहीं पाते थे. वेलुमनी के मां ने भैंस के दूध बेच कर अपने बच्चों को पढ़ाई कराई थी.
Left Coimbatore. August 18. 1982. 6:55 pm. Boarded Jayanti Janata. S9. Berth 41.
What a 39 Yrs journey.
Till you left us in 2016 it was absolute flawless heaven.
Now, nature too reminds your face often. #MissYouDarling. pic.twitter.com/4awUj8T0fc— Dr. A. Velumani.PhD. (@velumania) August 18, 2021
ताकि आगे चलकर सभी बच्चे अपना भविष्य बना सके. 19 वर्ष की उम्र में बीएससी (BSc) की डिग्री पूरी की. उन्होंने 150, रुपया में कोयंबटूर में एक कंपनी में काम करने लगे. वेलुमनी ₹100 घर भेजता और ₹50 में खुद का खर्चा चलाते थे. बदकिस्मती से कुछ दिन बाद वह कंपनी बंद हो गया. वेलुमनी बेरोजगार हो गए.
वेलुमनी काफी निराश हो गए लेकिन इसके बाद उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में उन्हे नौकरी मिल गई. यहां उन्होंने बतौर लैब असिस्टेंट अप्लाई किया. इसके बाद वह साइंटिस्ट बन गए. वेलुमनी का मकसद है कम दाम में ज्यादा लोगों तक टेस्ट की सुविधा पहुंचाने का.
2020 में कंपनी के रेवेन्यू 474 करोड रुपए था. 51 प्रतिशत प्रॉफिट बढा था. फ़ोर्ब्स इंडिया के मुताबिक उनकी कंपनी पूरी दुनिया की सबसे सस्ती हेल्थकेयर सुविधा प्रदान करती है. यह कंपनी Thyrocare ब्लड टेस्ट के अलावा भी टेस्ट करती हैं. यह कंपनी को दुनियाभर में 1122 आउटलेट्स है. भारत के साथ साथ नेपाल, बांग्लादेश और मध्य पूर्वी देशों में भी है.