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आईआईटी पटना बना रहा डॉक्टर एप, स्मार्टफोन एप से होगा मरीजों का इलाज, जानें खासियत

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यह युग इनफार्मेशन एंड टेक्नोलॉजी का युग है. स्मार्टफ़ोन और मोबाइल एप का क्रांति हो गया है. आये दिन एक से बढ़ कर एक टेक्नोलॉजी और मोबाइल एप का सृजन हो रहा है. इसी कड़ी में पटना आईआईटी के शोधकर्ताओं ने एक प्रोजेक्ट डिजाईन किया है. यह एक मोबाइल एप प्रोजेक्ट है जिसके मदद से वर्चुअल डॉक्टर किसी भी मरीज का इलाज करने में सक्षम होंगे. यह एक आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस पर आधारित तकनीक है.

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पटना आईआईटी एक एंड्रॉयड एप विकसित करने जा रही है. जो एंड्रॉयड एप किसी भी स्मार्टफोन ने इनस्टॉल किया जा सकेगा. फिर गाँव देहात के मरीजो का इलाज का इलाज करने में सक्षम होगा. इसमे दूर बैठा कोई डॉक्टर नहीं होगा बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी के मदद से यह आप मरीज के शरीर में हो रही समस्या को पूछेगा. मरीज अपनी बीमारी के बारे में स्मार्टफोन के एप को बतायेंगे. जरुरत पड़ने पर फोटो या विडियो भी ली जाएगी. फिर उस डाटा के आधार पर मरीज को दवाई दिया जायगा. बाद में मरीज मार्केट से दवाई खरीद कर खा लेंगे और ठीक हो जायेंगे.

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बिहार पटना आईआईटी के इस दूरदृष्टि वाली प्रोजेक्ट में कई लोग जुड़े है. इस मोबाइल एप को बनाने में आईआईटी मुंबई, एम्स ऋषिकेश के अनुभवी प्रोफेसर और डॉक्टर अहम भूमिका निभा रहे है. आईआईटी पटना के रिसर्च स्कॉलर अभिषेक तिवारी को इस काम के लिए प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप प्राप्त हुआ है. प्रोफेसर डॉ श्रीपर्णा साहा जो आईआईटी पटना कंप्यूटर साइंस के अध्यक्ष है और आईआईटी मुंबई के प्रो. पुष्पक भट्टाचार्य दोनों अभिषेक तिवारी की इस प्रोजेक्ट में मदद कर रहे है.

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साथ ही एम्स ऋषिकेश की जानीमानी डॉक्टर डॉ.मीनाक्षी इस मेडिकल फील्ड के डाटा की जाँच पड़ताल करके इस एप को डेवेलप करने में मदद कर रही है. बता दें की लगभग एक साल से इस मोबाइल एप बनाने का काम चल रहा है. ऐसा माना जा रहा है की साल 2024 तक इसको पूरा कर लिया जयेगा. इस मोबाइल एप के बन जाने से बिहार ही नहीं पुरे भारत के बीमार मरीजों को इलाज करने में सहूलियत होगी.

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बिहार समेत पुरे भारत में मरीज के तुलना में डॉक्टरों के संख्या काफी कम है. बिहार में तो इतनी कम है की पूरा राज्य अच्छे इलाज के लिए एकमात्र पटना जैसे शहरों के हॉस्पिटल और डॉक्टर पर निर्भर है. ऐसे में यह एप लोगों के लिए खास कर जो गरीब को गाँव में रहते है उनके लिए वरदान साबित होने वाला है. इससे टेक्नोलॉजी का भी सदुपयोग हो सकेगा. टेली मेडिसिन के क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. डॉ श्रीपर्णा साहा ने यह जानकारी दी.

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