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विदेशी बाजारों में कच्चे तेल के दाम (Crude Oil Prices) सात साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं. खास बात यह है की भारत में फिलहाल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. इसलिए सरकार एख नई जहमत मोल नहीं लेगी. यहां तक कि पिछले ढाई माह से सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दामों में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. बीते 76 दिनों से तेल का दाम स्थिर बने हुए हैं. बुधवार को भी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये और डीजल की कीमत 86.67 रुपये प्रति लीटर पर है.

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उत्पाद शुल्क में कटौती और वैट घटाने के बाद नहीं बदले तेल के दाम : आपको बता दे की पिछले वर्ष के सितंबर माह की 28 तारीख को आखिरी बार पेट्रोल के दाम 20 पैसे प्रति लीटर बढ़े थे, तो डीजल के भावों में 25 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी. दरअसल, सितंबर के अंतिम दिनों से पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला दिवाली तक जारी रहा. उसी समय केंद्र सरकार की तरफ से उत्पाद शुल्क कटौती और फिर राज्यों की तरफ से वैट कटौती के बाद से नहीं बदली हैं. पेट्रोल की कीमतों में देखें तो इस कटौती से पहले पेट्रोल करीब 8.15 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका था. हालांकि बीते साल सात नवंबर से इसके दाम स्थिर हैं.

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पेट्रोल से ज्यादा बढ़े डीजल के दाम : बताया जा रहा है की पिछले साल के दूसरी छमाही में पेट्रोल के मुकाबले डीजल के भावों में ज्यादा बढ़ोतरी की गई थी. कारोबारी लिहाज से देखें तो पेट्रोल के मुकाबले डीजल बनाना महंगा पड़ता है. लेकिन भारत के खुले बाजार (Retail Market) में पेट्रोल महंगा बिकता है और डीजल सस्ता बिकता है. बीते 24 सितंबर से यहां जो डीजल में आग लगनी शुरू हुई वह उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद रुकी. 24 सितंबर से मोदी सरकार के उत्पाद शुल्क में कटौती के फैसले तक डीजल करीब 9.45 रुपये महंगा हो गया था.

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