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भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation) के आईपीओ (IPO) लाने की प्रक्रिया मार्च तक पूरी हो जाएगी. इसमें एफडीआई पॉलिसी (FDI Policy) अब बाधक नहीं बनेगी. सरकार ने एफडीआई पॉलिसी में बदलाव की योजना तैयार कर ली है. शीघ्र ही इससे जुड़ा एक मसौदा केबिनेट के पास आ सकता है. जानकारी के अनुसार उसके बाद जरूरी प्रक्रिया पूरी की जाएगी. उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के सचिव अनुराग जैन ने बताया कि देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम के विनिवेश (Disinvestment) को गति देने के लिहाज से एफडीआई नीति में बदलाव के लिए जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल से संपर्क किया जाएगा. इस मामले में वित्तीय सेवा विभाग और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के साथ चर्चा हुई है. सभी इस पर सहमत हैं.

चालू वित्त वर्ष में ही पूरी होगी विनिवेश प्रक्रिया : आपको बता दे की उन्होंने बताया कि अब सिर्फ मसौदा तैयार करना बाकी रह गया है. हम कोशिश करेंगे कि अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के बाद जल्द ही कैबिनेट नोट बना लें और मंजूरी ले लें. यह बहुत जल्द होगा. उन्होंने वित्त मंत्री ने निर्देश के हवाले से बताया कि विनिवेश को चालू वित्त वर्ष के दौरान पूरा किया जाना है. इसलिए हमें भी उसी गति से काम करना है.

अभी यह है एफडीआई पॉलिसी : बताया जा रहा है की मौजूदा एफडीआई (FDI) पॉलिसी के मुताबिक, बीमा क्षेत्र में स्वचालित मार्ग (Automictic Route) से 74 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति है. हालांकि, ये नियम भारतीय जीवन बीमा निगम पर लागू नहीं होते हैं, जो एक अलग एलआईसी अधिनियम (LIC Act) के जरिये संचालित है. बाजार नियामक सेबी के नियमों के अनुसार, सार्वजनिक पेशकश के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) और एफडीआई दोनों की अनुमति है.

एलआईसी पर लागू नहीं होता : खबरों की माने तो भारतीय जीवन बीमा निगम अधिनियम में विदेशी निवेश के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए विदेशी निवेशकों की भागीदारी के संबंध में एलआईसी के प्रस्तावित आईपीओ को सेबी के मानदंडों के साथ जोड़ना जरूरी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल जुलाई में ही एलआईसी के आईपीओ को मंजूरी दी थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि यह प्रक्रिया आगामी 31 मार्च तक पूरी की जाएगी.

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