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महंगे खाने के तेल से राहत के लिये करना होगा मार्च 2022 तक इंतजार, जानें क्यों

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महंगाई की मार आम आदमी के ऊपर लगातार पड़ रही है. खाद्य वस्तुओं से लेकर पेट्रोल-डीजल तक की कीमतें आसमान पर हैं. माना जा रहा है कि मार्च 2022 के बाद सरसों की नई फसल आने के बाद ही मौजूदा स्तर से खाने के तेल में 7 से 8 फीसदी की कमी आ सकती है. बता दें कि इस साल खाद्य तेल का दाम 200 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गई थी.

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अंतराष्ट्रीय बाजारों में सोयाबीन, सनफ्लावर, पॉम आयल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है जिसके देश में खाने के तेल के दामों में इजाफा देखा जा रहा है. भारत खाने के तेल के खपत का 70 फीसदी आयात करता है. जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार ने पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कच्ची किस्मों पर 31 मार्च 2022 तक के लिए सीमा शुल्क में कटौती की हुई है. साथ ही सरकार ने इसके ऊपर लगाए गए कृषि उपकर में भी कटौती कर दी है.

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आपको बता दे की सरकार ने इंपोर्ट नीति में काफी बदलाव किया है जिसके चलते रिफाईन्ड सोयाबीन आयल की कीमतें 150 रुपये प्रति किलो से घटकर 125 रुपये प्रति किलो पर आई है. Palm Oil की कीमत 140 रुपये किलो से घटकर 120 रुपये और सनफ्लावर ऑयल की कीमत 150 रुपये किलो से घटकर 128 रुपये प्रति किलो पर आ चुकी है.

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