इस दिवाली दीयों में आम जनता कैसे भरेगी महंगा सरसों तेल? हर तरफ से उठे सवाल

विदेशी बाजारों (foreign markets) में तेजी के रुख के बीच त्योहारी मांग के साथ-साथ तेल (OIL) रहित खलों की भारी स्थानीय और निर्यात मांग से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए. महंगाई में लोग मिट्टी के दिए नहीं खरीद रहे हैं। इससे कुम्हार के चाक की रंगत बदल गई है। लोग मिट्टी के दीया नहीं खरीद रहे हैं।

जानकारी के लिए बता दे कि सरसों का तेल दिवाली के लिए काफी जरूरी होता है, क्योंकि इस दिन हर हिंदू परिवार में सरसों के तेल से भरे दिए जलाए जाते हैं. लेकिन इसकी महंगाई गरीब और मध्यम वर्ग के लिए दिवाली को फीका कर सकती है. फतेहगंज पूर्वी नगर से गढ़िया रंगीन रोड, दातागंज रोड से करीब 400 गांव के लोग यहां की मार्केट खरीदारी को आते हैं। खेतों में खड़ी फसल चौपट हो गई है। ऊपर से सरसों का तेल आसमान छू रहा है।

ऐसे में सरसों को तेल की बिक्री आदि हो रही है। बताया जा रहा है की सरसों के महंगाई के चलते इस बार दिए की बिक्री नहीं हो रही है। विपिन मिश्रा रोडवेज ने बताया कि सरसों के तेल की महंगाई के चलते सरसों के तेल से कम प्रयोग कर रहे हैं। गौरतलब है कि सरसों का तेल गली-मुहल्ले की दुकानों से लेकर ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर तक सब जगह 180 से 200 रुपये आसपास है. फ्लिपकार्ट के ग्रॉसरी स्टोर पर कच्ची घानी सरसों तेल 200 रुपये से 215 रुपये तक प्रति लीटर बिक रहा है.