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तेजी से बदल रही तकनीक के साथ हर किसी को खुद को बदलना जरूरी है। अगर तकनीक के साथ आगे नहीं बढेंगे तो पिछड़ जाएंगे। एक आम किसान (Farmer) भी थोड़ी बहुत खेती से अच्छी खासी कमाई (Farmers Income) कर सकता है. बस उसे एक कारोबारी की तरह सोचना है और नई तकनीकों का इस्तेमाल करना है. अगर तकनीक के साथ आगे नहीं बढेंगे तो पिछड़ जाएंगे। मछली पालन करने वालों पर भी यह बात लागू होती है।

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अगर आप भी मछली पालन के व्यवसाय में हैं या इसे शुरू करने की सोच रहे हैं तो इसकी आधुनिक तकनीक आपको बंपर मुनाफा करवा सकती है। यहां बात हो रही है बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन (Fish Farming Business by Biofloc Technique) की। आइए जानते हैं इस तकनीक से मछली पालन करने में आपका कितना खर्च (Cost of Fish Farming by Biofloc) आएगा, कितना फायदा (Profit in Fish Farming by Biofloc) होगा और क्यों ये तालाब में मछली पालने से बेहतर है।

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क्या होती है बायोफ्लॉक तकनीक?

अब तो मछली पालन की ऐसी तकनीकें आ गई हैं जिनके आधार पर आप तालाब के बिना भी मछली पालन कर सकते हैं. बिना तालाब के मछली पालन की तकनीक का नाम है बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Technique).

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आइए जानते हैं कि ये बायोफ्लॉक तकनीक क्या है और इस पर कितना खर्चा आता है. और तालाब के मुकाबले बायोफ्लॉक तकनीक में मछली पालन के क्या फायदे हैं.

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‘बायोफ्लॉक तकनीक’ एक कम लागत वाला तरीका है, जिसमें मछली के लिए जहरीले पदार्थ जैसे अमोनिया, नाइट्रेट और नाइट्राइट को उनके भोजन में तब्दील किया जा सकता है.

इस तकनीक में बड़े-बड़े टैंकों में मछली पाली जाती हैं. करीब 10-15 हजार लीटर पानी के टैंकों में मछलियां डाल दी जाती हैं. इन टैंकों में पानी भरने, गंदा पानी निकालने, पानी में ऑक्सीजन देने की व्यवस्था होती है.

मछलियों भोजन की बचत (Fish Farming Income)
टैंक सिस्टम में बायोफ्लॉक बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है. ये बैक्टीरिया मछलियों के मल और फालतू भोजन को प्रोटीन सेल में बदल देते हैं और ये प्रोटीन सेल मछिलयों के भोजन का काम करते हैं.

खर्चा और मुनाफा (Biofloc Fish Farming)
आगरा जिले में मछली पालन विभाग के निदेशक पुनीत कुमार के अनुसार बायोफ्लॉक तकनीक के माध्यम से तिलिपियां, मांगूर, केवो, कमनकार जैसी कई प्रजाति की मछलियों का उत्पादन किया जा सकता है.

इस तकनीक से किसान महज एक लाख रुपये खर्च कर प्रति वर्ष एक से दो लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं. बायोफ्लॉक तकनीक में सिर्फ एक बार टैंक को बनाने में खर्च आता है. उसके बाद पालन करने पर मछली पालन करने के छह महीने के बाद अच्छा मुनाफा मिलना शुरू हो जाता है.

बायोफ्लॉक तकनीक से 10 हजार लीटर क्षमता का एक टैंक बनावाने पर करीब 35 हजार रुपये की लागत आती है और एक टैंक की लाइफ करीब 5 साल होती है. एक टैंक में मछली पालन की लागत करीब 30 हजार रुपये आती है और इससे करीब 3 क्विंटल मछली का उत्पादन होता है. साल में दो बार मछली पालन किया जा सकता है.

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.