पोल्ट्री फार्म में DOC की मांग बढ़ने से बढ़ गए तेल व तिलहनों के दाम, जानिए कितना है सरसों और सोयाबीन का रेट

विदेशी बाजारों (foreign markets) में तेजी के रुख के बीच त्योहारी मांग के साथ-साथ तेल (OIL) रहित खलों की भारी स्थानीय और निर्यात मांग से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए. बीते सप्ताह विदेशों के अलावा स्थानीय स्तर पर पोल्ट्री वालों की सरसों, मूंगफली, सोयाबीन सहित विभिन्न खाद्य तेलों के तेल रहित खल की भारी स्थानीय मांग है.

इस साल गत वर्ष के मुकाबले डीओसी के निर्यात में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे डीओसी की कमी पैदा हुई है. डीओसी की भारी मांग को देखते हुए समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों, सोयाबीन और मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव पर्याप्त सुधार के साथ बंद हुए.

सोयाबीन दाने की किल्लत के कारण इसके तेल-तिलहनों के भाव में रिकॉर्ड तेजी है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर सोयाबीन तेल का भाव सरसों से लगभग पांच रुपए किलो नीचे रहता था, लेकिन समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन तेल के भाव सरसों से लगभग 25 रुपए किलो अधिक चल रहे हैं.

सोयाबीन डीओसी का भाव 10,000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचा

उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते सोयाबीन डीओसी का भाव 8,000-8,300 रुपए क्विंटल के बीच चल रहा था जो समीक्षाधीन सप्ताहांत में बढ़कर कोटा में 9,200 रुपए और छत्तीसगढ़ में 9,600 रुपए क्विंटल हो गया है. इसी प्रकार मूंगफली डीओसी की भारी मांग के कारण भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव पर्याप्त मजबूत हो गए.

सोयाबीन से तेल की प्राप्ति लगभग 18 प्रतिशत की होती है, जबकि सरसों से तेल प्राप्ति 40-42 प्रतिशत की होती है. सोयाबीन की भारी मांग के कारण सरसों की कीमत समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन से 25 – 26 रुपए किलो नीचे हो गई जबकि आमतौर पर सरसों के भाव सोयाबीन से 5-6 रुपए किलो अधिक ही हुआ करते हैं.

सहकारी संस्था हाफेड, नाफेड और अन्य संस्थाओं ने पिछले साल जुलाई से दिसंबर के दौरान लगभग 18-20 लाख टन सरसों की बिक्री की थी, क्योंकि किसानों से माल खरीदने के कारण इन संस्थाओं के पास स्टॉक जमा था लेकिन मौजूदा वर्ष में इन संस्थाओं के पास भी स्टॉक नहीं है. तेल मिलों के पास थोड़ा बहुत स्टॉक छोड़कर व्यापारियों के पास भी कोई स्टॉक नहीं है.

आगामी सीजन में सरसों का उत्पादन दोगुना होने की उम्मीद

सरसों की अगली फसल के आने में लगभग सात महीने का समय है और इसका कोई विकल्प भी नहीं है. त्योहार का मौसम नजदीक है और मांग बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को अगली बिजाई के लिए सरसों बीज का अभी से इंतजाम करने के लिए हाफेड और नाफेड को बाजार भाव पर सरसों की खरीद कर उसका स्टॉक बनाने का निर्देश जारी करना चाहिए. इस बार किसानों को जो समर्थन मिला है उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि आगामी सत्र में सरसों का उत्पादन लगभग दोगुना बढ़ जाएगा.

विदेशों में तेजी के अलावा गर्मी के बाद बरसात के मौसम की मांग के साथ-साथ त्योहारी और शादी-विवाह की मांग के कारण भी खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दिखा. बीते सप्ताह मलेशिया (Malaysia) एक्सचेंज में तेजी रहने और पामोलीन के आयात पर लगी रोक को समाप्त किए जाने से सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताह में पर्याप्त सुधार के साथ बंद हुए. अचार बनाने वाली कंपनियों, त्योहारी मांग और हरी सब्जियों के मौसम की मांग है जो आगे और बढ़ने ही वाली है.