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बाढ़ की विभीषिका से उत्पन्न स्थिति ने लोगों के जीवन को तबाह कर दिया है . बाढ़ का पानी घरों में घुस जाने से लोग घर की छत, सड़क तो कई लोग बांध व ऊंचे स्थानों पर शरण लिये दिन व रात गुजार रहे हैं. मीनापुर के रघई पंचायत के वार्ड 12 के निवासी अवध किशोर सहनी के घर में तीन फीट पानी घुस गया. वे अपने व आसपास के कुछ परिवार के लोगों के साथ छत पर शरण लिये हुये हैं. छत पर लंबे बांस की सीढ़ी लगी हुई है.

बाढ़ पीड़ित परिवार बताते हैं कि सात दिन से छत पर परिवार के साथ कैद भेल छी. पहिला दिन घर में पानी घुसल त सब लोग सड़क पर रहली. लेकिन, राते में सड़क पर भी पानी चढ़ गेलई. सोचली कि जब सड़कों पर पानीये में रहे के हय त अइसे अपने घर के छत पर काहे न रहब. बांस के बरका सीढ़ी बनवइली और सब लोग छत पर आ गेली. तेकरा बाद छते पर प्लास्टिक व कपड़ा के घर लेखा बना के रह रहल छी. सब लोग के शौच के लेल सीढ़ी से उतर के बाहर जायके ही परईअ. महिला सब के बड़ा परेशानी होइ छई .

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कुछ आगे बढ़ने पर सड़क किनारे एक पेड़ के नीचे खाट पर 67 वर्षीय विश्वनाथ सहनी सोये हुये हैं. उनकी पत्नी सुशीला देवी पैर दबा रही हैं. पूछे जाने पर सुशीला देवी बताती है कि घर में कमर से भी जादे पानी हई. घर में से समान लाबे ला कयबेर गेलखिन अलखिन ह से तीन दिन से सर्दी बुखार अउर हाथगोर में दरद हो गेल हइन. कल से गोटी (दवा ) खिअवइन छिअइन, लेकिन अभी ठीक न भेलइन ह. आगे बढ़ने पर अवधेश साह मिलते हैं. वह बताते हैं कि आगे करीब डेढ़ सौ घर पानी में घिरल हई. सब रघई के ही वार्ड 11 में परई छई.

वहां से कुछ आगे बढ़ने पर तेज पानी की धारा को हेलकर आते सफेद कुर्ता पैजामा पहने व्यक्ति के साथ तीन और लोग मिलते हैं. उन्हें सड़क किनारे रह रहे लोग घेरकर कुछ खरी खोटी सुनाते हुए अपनी अपेक्षाएं रखते हैं. वे सहजता से कहते हैं कि अभी हम सब लोग मिल कर जिनका कोई उपाय न हय उनका पहिले मदद करू. उनकी बातों पर कुछ लोग सहमति जताते हैं तो कुछ लोग नाक भौं सिकुड़ाने लगते हैं. पूछे जानें पर पता चलता है कि वे रघई पंचायत के मुखिया चंदेश्वर प्रसाद हैं.

मुखिया बताते हैं कि पिछले वर्ष 2019 और 2020 में किचेन चलवाने पर 40 लाख रुपया खर्च हुआ. जिसमें मात्र एक लाख 65 हजार रुपया मिला है. इसबार मुखिया लोगों को किचेन चलाने के लिए नहीं कहा गया है. शिक्षक को जिम्मेदारी दी गयी है. उसमें भी दो किचेन चलाने के लिए मात्र 50 हजार दिया गया है. फिर भी किचेन चलवा रहे हैं. जनता को तो भूखे रहने नहीं देंगे.

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