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विदेशों में गिरावट के रुख और मांग कमजोर होने से स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव में गिरावट आई। बाजार सूत्रों के अनुसार मलेशिया एक्सचेंज में 0.6 प्रतिशत और शिकॉगो एक्सचेंज में एक प्रतिशत की गिरावट रही, जिससे दिल्ली मंडी में तेल-तिलहनों के भाव भी प्रभावित हुए। वहीं, इंदौर के दाल-चावल बाजार में गुरुवार को उड़द के भाव में 400 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई। मसूर 50 रुपये प्रति क्विंटल सस्ती बिकी।

जयपुर की मरुधर ट्रेडिंग कंपनी ने सरसों की वर्तमान स्थिति के बारे में बताया कि अभी देश में सरसों के 86 लाख टन के कुल उत्पादन (जिसमें पिछले साल का लगभग बचा हुआ लगभग एक लाख टन का ‘कैरी फार्वर्ड स्टॉक शामिल है) में से पिछले चार महीनों में लगभग 46 लाख टन सरसों की खपत हो चुकी है। किसानों के पास 35.5 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है और लगभग छह लाख टन तेल मिलों के पास है। अभी अगली फसल में लगभग आठ महीने बाकी हैं।

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सूत्रों ने कहा कि बाजार में ऐसी चर्चा है कि सरकार दलहन की तरह तिलहन पर भी स्टॉक रखने की सीमा तय कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह प्रयास कोई परिणाम देने वाला नहीं है और बाजार में किसानों और सीमित मात्रा में तेल मिलों के पास स्टॉक को छोड़कर और किसी के पास सरसों, सोयाबीन जैसे तिलहन का स्टॉक ही नहीं है।  उन्होंने कहा कि ‘स्टॉक लिमिट लागू करने का बाजार पर प्रतिकूल असर ही होगा क्योंकि सरसों की अगली फसल आने में अभी लगभग आठ महीने का समय है।

साभार – hindustan

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