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सरसों और रिफाइंड ऑयल (Refined oil) ही नहीं पेट्रोल (Petrol) और डीजल ने भी आम आदमी के बजट को बिगाड़ा हुआ है. वैसे तो पिछले एक साल से सरसों और रिफाइंड तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन बीते 6 महीने से तो जैसे इनमें आग लग गई है. अच्छे ब्रांड के सरसों (Mustard) और रिफाइंड तेल के दाम 200 रुपये प्र‍ति लीटर के आंकड़े को छू चुके हैं. सामान्य ब्रांड भी 170 और 180 रुपये से कम नहीं हैं. राहत की बात है कि आज केंद्र सरकार (Central Government) ने तेल सस्ते करने को लेकर हरी झंडी दे दी है. आज सरकार ने कच्चे पामोलिन तेल के आयात शुल्क (Import Duty) में 10 फीसदी कटौती का ऐलान किया है.

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…तो क्या सितंबर के बाद फिर महंगा हो जाएगा तेल

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अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है कि केंद्र सरकार ने कच्चे पामोलिन पर आयात शुल्क में 10 फीसदी की कटौती की है. इसका हम स्वागत करते हैं, लेकिन कटौती की समयसीमा तय करना जनता के हित में सही नहीं है. इस बार सरकार की ओर से पहली बार आयात शुल्क कम किए जाने की अवधि 30 सितंबर तक तय की गई है. सरकार के इस नियम का फायदा आयात करने वाले उठा सकते हैं. इसलिए जनता के हित का ख्याल रखते हुए सरकार को आयात शुल्क में छूट दिए जाने का कोई वक्त तय नहीं करना चाहिए.

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