कोडरमा (रितेश लोहानी). भारत की लाइफलाइन रेलवे को कहा जाता रहा है. दुनिया में पटरियों का सबसे बड़ा जाल भारतीय रेलवे का माना जाता है, जो तमाम राज्यों के दूरस्थ इलाकों तक फैला है. दूरदराज तक रेलवे के कई स्टेशनों के बीच एक स्टेशन झारखंड में है, जिसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. अंग्रेज़ों के ज़माने में बने दिलवा रेलवे स्टेशन की सबसे खास बात यह है कि यह अब दो राज्यों के एकदम बीच में है. यानी इस स्टेशन का एक ट्रैक झारखंड राज्य में है, तो दूसरा बिहार की सीमा में. जी हां, दिलवा वो स्टेशन है, जहां से झारखंड और बिहार की सीमा एक दूसरे से मुलाकात करती है और बिछ़ड भी जाती है. इस विचित्रता से एक आकर्षण पैदा होता है, तो दूसरी कुछ समस्याएं भी पेश आती हैं.
दिलवा स्टेशन से गुजरने वाली अप और डाउन रेलवे लाइन दो राज्यों के बीच बंटती है. गया की ओर से आने वाले यात्री जब इस स्टेशन पर उतरते हैं, तो उनके कदम बिहार में ही रहता हैं, लेकिन अगर धनबाद की ओर से आते हैं, तो उनके पांव झारखंड की सीमा में उतरते हैं. यहां तक होता है कि स्टेशन पर पांच कदम चलने से ही राज्यों के नाम तक बदल जाते हैं.
दिलवा एक छोटा सा स्टेशन है, जहां तक पहुंचने के लिए सड़क काफी खराब है. दिलवा स्टेशन के एक छोर पर कोडरमा ज़िले के चंदवारा प्रखंड की पंचायत लगती है, जबकि दूसरे छोर पर बिहार का रजौली अनुमंडल लगता है. हालांकि दिलवा स्टेशन पर आसनसोल वाराणसी पैसेंजर और ईएमयू अप-डाउन ठहरती है, जबकि डाउन लाइन पर केवल इंटरसिटी रुकती है. फिर भी इस स्टेशन से गुजरने वाले यात्री मनोरम दृश्य देखकर प्रसन्न हो जाते हैं.