पटना से वैशाली की 45 किमी की दूरी मात्र 30 मिनट में तय हो जाएगी। केंद्र सरकार ने पटना एम्स से वैशाली तक फाेरलेन हाईवे बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। जेपी सेतु के सोनपुर एप्रोच रोड से वैशाली (अदलवारी-मानिकपुर) तक हाईवे निर्माण करने की खातिर जमीन अधिग्रहण करने के लिए भूअर्जन अधिकारी तैनात करने की अनुमति मिल गई है।
सारण और वैशाली जिलों में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी अब जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू करेंगे। सारण जिले में इस हाईवे का हिस्सा 16 किमी पड़ रहा है, जिसके तहत सोनपुर अंचल के गोविंदचक, बाकरपुर, चितरसेनपुर, मखदुमपुर, शिकारपुर और दरियापुर अंचल के खुशहालपुर, मनगरपाल मुर्तुजा, मनगरपाल नूरां, मानपुर गांव में जमीन का अधिग्रहण होगा। वहीं वैशाली जिले में 19 किमी पड़ रहा है, जिसके तहत लालगंज अंचल के जलालपुर उर्फ बिशुनपुर गमहीर, जलालपुर गोपी मिल्की, केशोपुर, ताजपुर, खानजहां चक उर्फ सैदनपुर गांव में जमीन का अधिग्रहण होगा।
जमीन अधिग्रहण पर खर्च होंगे 300 कराेड़
भारतमाला परियोजना के तहत इस हाईवे का निर्माण हो रहा है। इसमें 23 किमी लंबाई में पटना एम्स से सोनपुर के गोविंदचक तक (दीघा सेतु छोड़कर) फिलहाल दोनों तरफ फाेरलेन रोड बन चुका है। अब केंद्र सरकार ने गोविंदचक से मानिकपुर तक 35 किमी लंबाई में फाेरलेन हाईवे के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की तैयारी शुरू कर दी है। जमीन अधिग्रहण में 300 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इस एलाइनमेंट (अदलवारी-मानिकपुर) के निर्माण पर 847 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें गंडक नदी पर सोनपुर वर्तमान गंडक पुल से उत्तर की तरफ एक नया फाेरलेन पुल भी बनेगा जिसकी लागत 150 करोड़ रुपए होगी।
वैशाली और केसरिया को राजधानी से जोड़ना उद्देश्य
इस हाईवे का मुख्य मकसद बुद्ध सर्किट के दो महत्वपूर्ण जगह वैशाली और केसरिया को राजधानी पटना से जोड़ना है। पटना या भविष्य के बिहटा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से पर्यटक मात्र आधे घंटे में वैशाली पहुंच सकेंगे। इसके लिए वर्तमान दीघा (जेपी) सेतु के समानांतर गंगा नदी पर एक नया फाेरलेन पुल भी बनेगा। उस पुल पर करीब 2900 करोड़ खर्च होने का अनुमान है