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आज जब लोग रसायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से उपजाई हुई फसलों , सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थ को खाने के लिए मजबूर हैं जिसके कारण उन्हें कई प्रकार के बिमारियों का सामना करना पड़ता है ! ऐसे में उत्तरप्रदेश के लखनऊ के रहने वाले महेन्द्र साचन ने वैसी सब्जियों को खाना बिल्कुल भी पसन्द करते इसलिए उन्होंने अपने घर के छत को हीं खेत में तब्दील कर दिया और बिना केमिकल वाली सब्जियों का उत्पादन शुरू कर दिया ! आईए जानते हैं कि महेन्द्र साचन ने किस तरह नायाब तरीके से सब्जियों का उत्पादन शुरू किया !

महेन्द्र साचन उत्तरप्रदेश राज्य के लखनऊ के मुंशी पुलिया इलाके में रहते हैं ! वे शुरू से हीं खाने के शौकीन रहे हैं ! उन्हें बाजार की सब्जियां बिल्कुल भी पसन्द नहीं है ! वे कहते हैं कि बाजार में मिलने वाली सब्जियां एक तो महँगी होती हैं दूसरी वह केमिकल खाद और कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से उपजने के कारण स्वाद और स्वास्थ्य दोनों बिगाड़ देती है ! खाना खाने के साथ सेहत का खयाल रखना इंसान के लिए महत्वपूर्ण है ! आजकल सब्जियों को जल्द तैयार करने के लिए खाद और दवाओं का जिस तेजी से योग हो रहा वह इंसान के स्वास्थ्य पर सीधा असर करता है ! इसलिए केमिकल युक्त सब्जियों से मुक्ति पाने हेतु महेन्द्र ने कुछ उपाय निकालने पर चिंतन करना शुरू कर दिया !

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घर की छत को बना डाला किचन गार्डन

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केमिकल युक्त सब्जियों से निजात पाने के लिए महेन्द्र खुद हीं कुछ करना चाहते हैं ! उन्हें लगा कि काश थोड़ी सी जमीन होती तो वे खुद सब्जियां उपजाता ! बहुत सोंचने के बाद उन्हें एक आईडिया आया कि क्यूं ना वे अपने दो मंजिला घर की छत पर हीं सब्जियों की खेती करूँ ! बस क्या था उन्होंने अपने छत को किचना गार्डन बना दिया ! शुरूआत में उन्होंने सब्जियों के कुछ पौधे लगाए ! उससे प्राप्त सब्जियों को खाकर वे उत्साहित हो गए और पूरे छत को बगीचा बना दिया !

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बेहद कम खर्च में छत को बना डाला किचन गार्डन

महेन्द्र ने अपने छत को गार्डन बनाने हेतु कोई बड़ा बदलाव नहीं किया और ना हीं बहुत पैसे खर्च किए ! करीब 600 स्क्वायर फीट वाले छत पर उन्होंने एक पतली सी चारकोल की लेयर लगाई ताकि छत से पानी का रिसाव ना हो ! उस पर से लगभग 4 इंच ऊपजाऊ मिट्टी बिछा दिया ! और इस तरह महेन्द्र द्वारा छत पर खेती हेतु जगह बना दी गई जो बेहद हीं कम खर्च में तैयार हो गया ! उस उपजाऊ मिट्टी में अब वे सब्जियां उत्पादन करने लगे ! छत को किचन गार्डन बनाने के लिए उनके द्वारा चन्द टिप्स भी दिए गए हैं ! वे बताते हैं किचेन गार्डन बनाने के लिए ऐसी जगह होनी चाहिए जहाँ पर्याप्त सूर्य की रौशनी जाए ! उसमें ऐसी मिट्टी डाला जाए जिसमें कंकड़-पत्थर ना हो ! सिंचाई की उचित व्यवस्था हो और पानी के निकास की भी व्यवस्था हो ! सीजन के हिसाब से फलों और सब्जियों का चुनाव भी आवश्यक हो जाता है ! वक्त-वक्त पर सिंचाई , गुड़ाई और कटाई भी बहुत जरूरी हेता है !

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जैविक विधि से करते हैं खेती

महेन्द्र द्वारा अपने छत पर उगाए जा रहे उत्पादों को जैविक विधि से तैयार करते हैं ! बिना रसायनिक खाद के घर में हो रहे वेस्ट पदार्थों से खाद बनाकर उससे उपजाया जाता है ! वे अपने उत्पादन में तनीक भी रयासनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं करते हैं !

छत पर खेती करने के हैं कई फायदे


महेन्द्र बताते हैं कि छत पर खेती करना कई मायनों में विशेष होता है ! यदि जमीन की समस्या है तो वह कुछ हद तक खत्म हो जाती है ! छत पर खेती करने से नीचे के मंजिल में ठंडक रहती है ! आस-पास शुद्ध हवा का भी संचार होता है ! एसी कम चलाने के कारण बिजली की खपत भी कम होती है ! यहाँ उपजने वाली सब्जियां बेहद हीं लाभकारी होती हैं ! इससे घर में हुए सब्जी की जरूरत को पूरा किया जा सकता है ! आस-पास के लोग प्रेरणा भी पाते हैं ! महेन्द्र जी ने खेती के क्षेत्र में अपनी अथक मेहनत और सूझबूझ से बेहतरीन सफलता हासिल की है ! पिछले 12 वर्षों से उन्होंने बाजार से सब्जियां नहीं खरीदी हैं ! वे अपने छत पर 20 तरह की सब्जियां उगाते हैं जिसे वे अपने खुद के जरूरत के हिसाब से आस-पड़ोस के लोगों में भी बाँटते हैं ! इतना करने के बाद भी वे छत पर खेती के माध्यम से लगभग 2500 रूपए बचा रहे हैं !

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.