शहर संसाधनों से भरे होते हैं. आपकी हर बुनियादी जरूरतें शहरों में मिल जाती है. वहीं, गावों में बुनियादी संसाधनों का आभाव रहता है. लेकिन कुछ लोगों के प्रयास से ही इन संसाधनों की कमी को पूरा किया जा सकता है. आज की कहानी पीके मुरलीधरन के बारे में है जिन्होंने अपने गांव में गरीब बच्चों और नवयुवाओं की पढ़ाई में किताबों के आभाव के लिए जबरदस्त रास्ता निकाला है. उन्होंने अपने गांव में पुस्तकालय खोला. ये दुनिया का एकलौता ऐसा पुस्तकालय है वो घनें जंगलों के बीच बना हुआ है.

कौन हैं (PK Murlidharan) पीके मुरलीधरन

केरल के घने जंगलों के बीच इदुक्की जिले के इरिप्पुकल्लु क्षेत्र में रहने वाले मुरलीधरन एक छोटी सी झोपड़ी में रहते हैं. उनका गांव मुथुवान जाति के आदिवासी इलाके में हैं. पीके मुरलीधरन पेशे से एक शिक्षक हैं. स्थानीय लोग उन्हें मुरली ‘माश’ के नाम से बुलाते हैं. मलयालम में ‘माश’ शिक्षक को कहते हैं.

मुरलीधरन, इस जगह के लोगों के लिए किसी फरिश्ते के समान हैं जिन्होंने यहां के लोगों के लिए अपना घर छोड़ दिया. वो इस आदिवासी इलाके के लोगों को शिक्षित करना चाहते हैं. वो 2 दशकों से यहां रह रहे हैं. उनके पुस्तकालय के योगदान को पीएम मोदी ने भी सराहा था.

कैसे खोला पुस्तकालय

ग्रामीण आदिवासी इलाके में पुस्तकालय खोलना बिल्कुल आसान नहीं था. इस पुस्तकालय को खोलने में पीके मुरलीधरन एक चाय की दुकान चलाने वाले पीवी छित्राथंबी का भी योगदान और समर्पण मानते हैं. मुरलीधरन बताते हैं कि एकबार वो अपने दोस्त जो कि तिरुअनंतपुरम में आकाशवाणी और रेडियो एफएम में काम करते हैं से कुछ बातचीत कर रहे थें.

इस दौरान हम दोनों लोग छिन्नथंबी की झोपड़ी में रुककर चाय पी रहे थे तभी हमने यहाँ शिक्षा कि स्थिति को दुरस्त करने की ठानी. लोगों को शिक्षा देने के लिए जरूरी था कि यहां लोग किताबों से पढ़ सकें. इसलिए यहां पुस्तकालय खोलने का आइडिया हमारे दिमाग में आया.

इसके लिए हमें छिन्नथंबी की चाय की झोपड़ी से बेहतर कुछ भी ना लगा. हम लोगों ने आपस में विचार किया कि लोग चाय पीने आएंगे और अगर इस चाय की झोपड़ी को ही पुस्तकालय बना लेते हैं तो लोग यहां किताबें भी पढ़ेंगे. इस चर्चा के बाद मुरलीधरन अपने मित्र और केरला कौमुदी के उप-संपादक बी आर सुमेश के साथ 160 किताबें लेकर आए. ये पहली बार था कि किसी घनें जंगलों के बीच के इलाके में पुस्तकालय खोला जा रहा था.

पीएम मोदी ने की तारीफ

शुरुआत में इस पुस्तकालय के बारे में ज्यादा किसी को जानकारी नहीं थीं. घनें पेड़ों के बीच चाय की दुकान में बना ये पुस्तकालय धीरे धीरे लोगों की पसंदीदा जगह बन गया. ये इतना प्रसिद्ध हुआ कि खुद पीएम मोदी ने इस पुस्तकालय की तारीफ की. पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम मन की बात में इस पुस्तकालय का जिक्र किया था.

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