गहने गिरवी रखकर पोती की पढ़ाई करवाई, अब बनी डॉक्टर: तेलंगाना की शिगा गौतमी की प्रेरणादायक कहानी

यह सफलता की कहानी एक संघर्षशील यवती की है. उनके बचपन में उनके माता पिता का साथ छुट गया है. तेलंगाना के तुंगतुरथी मंडल के वेंपति गांव की रहने वाली है शिगा गौतमी. शिगा गौतमी ने अपने संघर्ष और मेहनत से वह कर दिखाया जो किसी भी आम इंसान के लिए प्रेरणा बन सकता है. बचपन में ही माता-पिता को खोने वाली गौतमी के जीवन में चुनौतियां कम नहीं थीं. लेकिन उनकी दादी ने अपने गहने गिरवी रखकर उनकी पढ़ाई का सपना पूरा करने की ठान ली. दादी ने हमेशा से सपना देखा था की गौतमी पढ़ लिखकर कुछ करे और आगे बढे. दादी ने हमेशा ही गौतमी को डॉक्टर बनाना चाहा था.

गौतमी की दादी ने उनकी पढ़ाई के लिए हर संभव प्रयास किया. जब गौतमी ने डॉक्टर बनने का सपना देखा तो NEET की तैयरी के लिए पैसे जुटाए. उनकी दादी ने अपने गहने गिरवी रखकर उनकी शिक्षा का खर्च उठाया. यह उनके जीवन का सबसे बड़ा बलिदान था. गौतमी ने इस सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की. गौतमी ने दो बार नीट (NEET-UG) परीक्षा दी. पहली बार सफल न हो पाने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. दूसरी बार उन्होंने 3000 रैंक लाकर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सीट हासिल की.

गवर्नमेंट कॉलेज में सीट मिलने के बावजूद गौतमी को हर साल 1.50 लाख रुपये तक की फीस जमा करनी होती थी. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि फीस के अलावा हॉस्टल फी और अन्य खर्चों के लिए मेहनत करनी पड़ी. उन्होंने मजदूरी और छोटे-मोटे काम करके अपनी फीस का इंतजाम किया. उनकी मेहनत संघर्ष ने दिखा दिया कि आत्मविश्वास परिश्रम से कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है.

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