आज की सफलता की कहानी महाराष्ट्र राज्य से है. महाराष्ट्र के उमरगा तालुका के मुरुम गांव में जन्मे सूर्यकांत सूर्य ने एक समय में शिक्षक बनने का सपना देखा था. दरअसल सूर्यकांत को पढाना काफी पसंद है. वो हमेशा से देश के शिक्षा व्यवस्था को बदलना चाहते थे. शिक्षा के प्रति उनकी रुचि और समाज सेवा की भावना ने उन्हें इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया. हालांकि किसी कारणवश शिक्षक बनने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी अपनी मेहनत दूरदर्शिता से एक नया रास्ता चुना. जब उन्हें यह लग गया है वो अब शिक्षक नहीं बन पाएंगे तो उन्होंने एक मोबाइल रिपेयरिंग का बिज़नस शुरू कर दिया. हालाकिं वो इसमें बिल्कुल नए थे लेकिन किसी तरह अपने काम को आगे बढाया.
सपना अधूरा रहने पर सूर्यकांत ने सोचा कि वे अपने क्षेत्र में कुछ ऐसा काम करें जिससे उनकी खुद की भी आजीविका चले और दूसरों को भी रोजगार मिल सके. उन्होंने मात्र 50,000 रुपये की छोटी पूंजी से मोबाइल रिपेयरिंग का व्यवसाय शुरू किया. इस व्यवसाय में सूर्यकांत ने खुद को पूरी तरह से समर्पित किया. शुरुआत में सूर्यकांत को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उनकी मेहनत लगन और लोगों से अच्छे संबंधों ने उनके काम को एक नई दिशा दी. धीरे-धीरे उनका व्यवसाय बढ़ता गया . आज वे सालाना लगभग 12 से 15 लाख रुपये तक कमा रहे हैं. यह सिर्फ उनकी मेहनत और इच्छाशक्ति का परिणाम है कि वे आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं.
सूर्यकांत खुद के लिए एक सफल व्यवसाय खड़ा कर पाए सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने अपने गांव और आसपास के लोगों को भी रोजगार प्रदान किया. उन्होंने अपने दोस्तों को भी रोजगार दिया. उनके इस मोबाइल रिपेयरिंग व्यवसाय में अब कई लोग काम कर रहे हैं. उनकी इस पहल ने उनके क्षेत्र में बेरोजगारी कम करने में भी योगदान दिया है