दिनभर की मेहनत और रात की पढ़ाई से बने एसडीएम: मुजफ्फरपुर के अमित कुमार की सफलता की कहानी
अगर लोग ठान ले तो कुछ भी नामुमकिन नही है. इस बात को जितने जल्दी समझ जायेंगे उतना जल्दी जीवन में कुछ विधायक हो पायेगा. जी हां दोस्तों एक बार ठान लेने पर – संकल्प ले लेने पर हमारे आसपास की उर्जा से हमें मदद मिलने लगती है और हम धीरे धीरे अपने लक्ष्य के तरफ आगे बढ़ने लगते है. ऐसा की एक कहानी है मुजफ्फरपुर के अमित कुमार की . यह अमित कुमार एक प्रेरणा से कम नहीं है क्योकि इनको पहले से एक सरकारी नौकरी लग चुकी थी. फिर भी अपने असली सपने का पीछा किया और सफलता पाई. आपको बता दें की अमित ने बीपीएससी (BPSC) 67वीं परीक्षा में 51वीं रैंक हासिल कर बिहार में एसडीएम (SDM) बनने का सपना साकार किया है.
अमित की जीवनयात्रा बहुत संघर्षपूर्ण रही है. उनकी शादी हो गई . बच्चे भी हुए लेकिन और सौभाग्य से 2007 में उन्होंने विजया बैंक में नौकरी शुरू की. जहां वह एक प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे. बैंक की नौकरी में दिनभर की थकान के बावजूद अमित ने अपनी पढ़ाई को कभी नहीं छोड़ा. उनका लक्ष्य बीपीएससी की परीक्षा पास कर एसडीएम बनने का था . इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की.
पहली परीक्षा और प्रारंभिक सफलता
अमित ने पहले बीपीएससी 64वीं परीक्षा में भाग लिया जिसमें उन्होंने 95वीं रैंक हासिल की . लेकिन अमित इतने से संतुष्ट नहीं थे उनका असली सपना एसडीएम बनने का था. इसके लिए उन्होंने बैंक की नौकरी के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी . अमित के संघर्ष में उनकी पत्नी का विशेष योगदान देती रही. उनकी पत्नी ने परिवार की पूरी जिम्मेदारी संभाली साथ भी बच्चो का भी ख्याल रखा. उनका यह सहयोग अमित के लिए ताकत बना. दिनभर की नौकरी के बाद थके हुए अमित जब रात को पढ़ाई के लिए बैठते, तब पत्नी का समर्थन और उनकी समझदारी ने उन्हें हर रात नए जोश के साथ पढ़ाई करने की प्रेरणा दी.
दूसरी परीक्षा में हासिल की 51वीं रैंक
अमित ने फिर बीपीएससी 67वीं परीक्षा में भाग लिया और इस बार 51वीं रैंक के साथ एसडीएम बनने का सपना पूरा कर दिखाया.