सफलता की कहानी: असफलताओं से जूझती गिरीशा ने पांचवी बार में पाया IAS बनने का सपना
गिरीशा चौधरी की कहानी उन हज़ारों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो UPSC जैसे कठिन परीक्षा के सपने को अपने जीवन का लक्ष्य बनाते हैं. यह कहानी उनके के लिए उर्जा लेकर आएगी जिनको इनदिनों लगातार असफलता का मुह देखना पर रहा है. जी हाँ दोस्तों गिरिशा ने जो कर दिखाया वो बड़ी हिम्मत की बात है. आपको बता दें की गिरिशा के पिता पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर का काम करते है. माँ भी बैंक में है. गिरिशा के इस सफ़र में कई मुश्किलें आई लेकिन गिरिशा भीतर के अधिकारी बनने के सपने को कभी मरने नहीं दिया.
जब गिरिशा चौधरी छोटी बच्ची थी तब से उन्हें UPSC का कोई आईडिया नहीं था. गिरीशा तो बचपन से पत्रकार बनना चाहती थीं. लेकिन समय के साथ उनका मन सिविल सर्विस की ओर मुड़ गया. बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें एक अच्छी नौकरी भी मिल गई थी. लेकिन अधिकारी बनने का सपना उनके दिल में अपनी जगह बनाए हुए था. इसके चलते उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर UPSC की तैयारी में जुटने का निर्णय लिया.
साल 2018 में उनके पहले प्रयास में वे मात्र 20 अंकों से प्रीलिम्स कटऑफ से चूक गईं. यह उनके लिए कठिन समय था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. लगातार चार बार असफल होने के बाद भी उन्होंने अपने सपने को नहीं छोड़ा. हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि उन्हें पैनिक अटैक आने लगे. लेकिन गिरीशा ने धैर्य नहीं खोया. उन्होंने अपने डर और असफलताओं से धीरे-धीरे छुटकारा पाया और मेहनत जारी रखी.
अंततः 2023 में गिरीशा चौधरी की मेहनत रंग लाई और उन्होंने UPSC परीक्षा में 263वीं रैंक हासिल की. उनका IAS बनने का सपना साकार हो गया.