संघर्ष से सफलता तक: राहुल कुमार की प्रेरक कहानी

बिहार के औरंगाबाद जिले के छोटे से गांव के रहने वाले राहुल कुमार की कहानी संघर्ष की कहानी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है. राहुल कुमार ने अपने संघर्ष से मिसाल कायम कर दिया है. उनकी संकल्पना इतनी अडिग थी की जब तक पूरा नहीं हुआ तब तक छोड़े नहीं. राहुल का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था. आर्थिक स्थति की बात न ही करे तो अच्छा है क्योकि उनके पिता श्री रविंद्र ठाकुर सैलून चलाकर घर का गुजारा जैसे-तैसे करते थे. आर्थिक हालात इतने कठिन थे कि परिवार का दैनिक जीवन भी मुश्किलों से भरा था. घर में पैसो की तंगी को देखकर अक्सर राहुल के मन के ख्याल आता की क्या कभी मै इस तंगी को दूर कर पाउँगा. धीरे धीरे राहुल के सपने बड़े होने लगे . उनके दिल में अधिकारी बनने की चाहत पनपने लगी थी. इसके लिए उन्होंने हर कठिनाई को पार करने का संकल्प ले रखा लिया था.

आपको बता दें की बिहार के औरंगाबाद के राहुल ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया. जैसे लाखो युवा लेते है. इसीलिए यह रास्ता आसान नहीं था. उनके पास पटना में कोचिंग के लिए रूपये नहीं थे. इसलिए वह बिना किसी कोचिंग के इस चुनौतीपूर्ण परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे. सीमित संसाधनों के बीच उन्होंने यूट्यूब से पढ़ाई की . जो टॉपिक समझ में नहीं आती फिर भी उसे किसी तरह समझने की कोशिश की और अपनी तैयारी को जारी रखा. उनके पास न तो बड़े शहरों में जाकर कोचिंग लेने का साधन था, न ही महंगे किताबों का खर्च उठा सकते थे. उन्होंने आत्मविश्वास के साथ यूट्यूब के सहारे अपनी पढ़ाई की.

परीक्षा की कठिनाइयों के बावजूद राहुल ने हार नहीं मानी . BPSC में राहुल कुल तीन बार असफल होने के बाद भी उन्होंने अपने संकल्प को टूटने नहीं दिया. चौथी बार उन्होंने पूरी मेहनत और लगन के साथ प्रयास किया. उनका प्रीलिम क्लियर हो गया था. लेकिन जब बात इंटरव्यू देने की आई तो इंटरव्यू के लिए एक समस्या सामने आई – उनके पास कोट और पैंट खरीदने के पैसे नहीं थे. राहुल ने किसी तरह से कर्ज लेकर इंटरव्यू के लिए नए कपड़े सिलवाए. उन्होंने वह कपड़े पहनकर अपने आत्मविश्वास को और बढ़ाया . आखिरकार उन्हें इस बार बीपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर कल्याण पदाधिकारी बने.

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