यह सफलता की कहानी एक ऐसे शख्स की है जिसे अपने की घर में निकम्मा और नकारा कहा जाने लगा था. भावेश नमक यह शख्स के सफलता के पीछे कई निराशा भरे दिन और कुछ आगे न दिखाई न देने वाला दृष्टि छुपा हुआ है. एक समय ऐसा आया था भावेश के जिंदगी में की उन्होंने बस हार मान कर घर पर बैठने का फैसला कर लिया था. लेकिन अन्दर-अन्दर कुछ एक घुटन सी थी की मै कुछ नहीं कर पाया. ऐसे परिस्थिति से निकलकर भावेश ने सफलता पाई.
जब भावेश की पढाई कम्पलीट हुई तो भावेश और उनके कुछ दोस्त सब सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू कर दी. सब मिल कर पढ़ते और परीक्षा देते. लेकिन धीरे-धीरे भावेश के सभी दोस्त की परीक्षा में सिलेक्शन होने लगा. उनके सारे दोस्त को सरकारी नौकरी लग गई. भावेश को कई भी नौकरी नहीं लग पाई. वे तो निराश हुए ही उनके साथ उनके घर वाले भी भावेश को बहुत ताने दिए.
भावेश के पिता एक सरकारी नौकरी वाले व्यक्ति है. वो भी चाहते थे की भावेश भी सरकारी नौकरी करे. लेकिन उनका किसी भी सरकारी नौकरी में सिलेक्शन नहीं हो पाया. सभी घर के लोग निराश थे. धीरे-धीरे भावेश भी दुखी और मायुस हो कर डिप्रेशन में जाने लगा था. एक वो घी का कारोबार करने के बारे में सोचे. फिर वहां से उनकी किस्मत पूरी तरह से बदल गई.
भावेश ने घर से शुद्ध घी बना कर बेचने का काम शुरू कर दिया . शुरू में कम आर्डर आते थे लेकिन वक्त के साथ परिस्थिति बदलने लगी. उनको दूर-दूर से आर्डर आने लगे. उनके घी के कंपनी का नाम कसुतम है. अब उनको ऑनलाइन भी आर्डर मिलने शुरू हो गए है. अब उनका बिज़नस आठ करोड़ का हो गया है. अब भावेश एक सुखी जीवन जी रहे है.