शहर में तो खाली जगह मिलना तक मुश्किल सा प्रतीत होता है और जो बचा भी है वह इतना मँहगा है कि उस पर व्यय करना बहुत मुश्किल है ! ऐसी स्थिति में शहर में बने घर के छत पर खेती करने का प्रचलन या कार्य बेहतर साबित हो रहा है ! आईआईटी से पढाई करने वाले कौस्तुभ खरे और साहिल पारिख घर के छत पर खेती कर ना सिर्फ खुद की आवश्यकताओं की हीं पूर्ति नहीं कर रहे बल्कि उससे अच्छी आमदनी भी कर रहे हैं ! तो आईए जानते हैं कौस्तुभ और साहिल के बारे में…

कौस्तुभ और साहिल दोनों आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढाई की है ! आज वे अपने इंजीनियरिंग के कैरियर को छोड़कर किसानी में हाथ आजमा रहे हैं ! चूकि वे पढे-लिखे हैं और खेती कर रहे हैं तो स्वाभाविक है कि पुराने ढर्रे पर चलना या किसानी करना उन्हें बिल्कुल भी मान्य नहीं होगा और वे कुछ अलग और नई तकनीक का प्रयोग जरूर करेंगे और उम्होंने किया भी ! जहाँलोग यह मानते हैं या देखते हैं कि खेती तो बड़े-बड़े खेतों में हीं उगाई जा सकती है वहीं पर कौस्तुभ और साहिल दोनों अपने घर की छत को हीं खेत बना डाला और 700-800 किलोग्राम तक सब्जियां उगा रहे हैं !

घर के छत को बना डाला खेत

कौस्तुभ और साहिल दोनों ने अपनी मेहनत और कृषि कौशल से लोगों के मन में बनी इस धारणा को बिल्कुल हीं खत्म कर दिया जिसमें कि लोग सोंचते थे कि अच्छी खेती करने व बृहद पैदावार प्राप्त करने के लिए बहुत बड़े भूभाग की आवश्यकता पड़ती है ! दोनों ने अपने घर की छत को हीं खेत का रूप दे दिया ! ऐसा कर दोनों ने अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का सृजन किया ! आज कई लोग खेती में रूचि रखने के बाद भी जगह की कमी के कारण खेती नहीं कर पाते , उनलोगों के लिए कौस्तुभ और साहिल दोनों का प्रयास एक मार्ग दिखाने जैसा है ! घर की छत को खेत बनाकर दोनों बहुत हीं बेहतर खेती कर रहे हैं !

खास तकनीक से करते हैं खेती

कौस्तुभ और साहिल खेती करने के लिए खास तरह की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं ! वे छत पर पैदावार करने के हेतु हाइड्रोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं जिसके अंतर्गत खेती के लिए मिट्टी को प्रयोग में नहीं लाया जाता है ! इसमें फसल को आवश्यकता अनुसार पानी दिया जाता है ! सबसे पहले छत पर खेती हेतु क्यारी बनाई गई ! यह सारी क्यारी वाटरप्रूफ थी ! इस तरह की क्यारी बनाने के कारण पानी छत से नहीं टपकता था ! फसलों को उनके लिए आवश्यक पोषक तत्वों को पानी के द्वारा पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है ! इस कार्य के लिए अलग-अलग कई चैनल भी बनाए गए हैं ताकि पौधों तक पोषक तत्व उचित मात्रा में पहुँचाया जा सके ! फसल अच्छी और गुणवत्ता वाली हो इसके लिए उसमें नारियल का खोल या सूखा हुआ छिल्का भी डाला जाता है ! मिट्टी का ना के बराबर प्रयोग में लाने से छत पर भार भी कम पड़ता है !

करते हैं बम्पर पैदावार

कौस्तुभ और साहिल दोनों मिलकर घर के छत पर खेती कर बेहतरीन खेती कर रहे हैं ! इसके परिणामस्वरूप वे बम्पर उत्पादन कर रहे हैं ! वे मुख्य रूप से सब्जियों की खेती कर रहे हैं ! भिंडी , टमाटर , बैंगन , मेथी , पालक , चौलाई , पोई साग , मिर्च आदि की खेती करते हुए वे 700-800 किलोग्राम सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं !

“खेतीफाई” कम्पनी की स्थापना

कौस्तुभ और साहिल ने अपने पूरे कार्य को एक नाम दिया “खेतीफाई” ! इसके माध्यम से ना सिर्फ खुद से घर की छप पर खेती किया जाता है बल्कि कई लोगों को इसके बारे में बताया भी जाता है ! खेतीफाई के माध्यम से विद्यालयों और समाजिक संस्थाओं में कार्यशाला का भी अायोजन किया जाता है ! टीम खेतीफाई लोगों में भोजन संबंधित लेने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी प्दान करते हैं ! इस टीम के उद्देश्य से बच्चों में भोजन , बीजों और पौधों की पहचान कराना और उसके पोषण के बारे में जागरूरता लाना है !

कम लागत और लाखों का मुनाफा

कौस्तुभ और साहिल ने अपनी यह खेती महज 200 वर्गमीटर में शुरू किया था ! शुरूआत में इन्होंने मात्र 19 हजार रूपये खेती में लगाए ! वे अच्छी और गुणवत्ता वाली लगभग 700-800 किलोग्राम सब्जियां उगा रहे हैं जिससे उन्हें लाखों की आमदनी हो रही है ! कुछ हजार की लागत लगाकर उससे लाखों की आमदनी करना बड़ी बात है ! कौस्तुभ और साहिल आज खेती से अच्छी आमदनी कर बेहद खुश हैं !

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