बिहार में खाद की कालाबजारी रुक नहीं रही है। कालाबजारी रोकने के लिए खरीफ में चले अभियान का असर रबी तक भी नहीं टिक सका।

नतीजा है कि गेहूं की सिंचाई कर चुके किसान ऊंची कीमत देकर यूरिया खरीदने को विवश हैं। उनकी लागत भी बढ़ जा रही है।

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गेहूं की बुआई तो किसान मिक्सचर खाद के साथ करते हैं लेकिन पहली सिंचाई के साथ ही यूरिया की मांग तेज हो गई।

उधर केन्द्र सरकार ने नवम्बर और दिसम्बर में ही यूरिया की आपूर्ति कम कर दी थी।

हालांकि मुख्यालय की समीक्षा के दौरान सभी डीलरों के पॉश मशीन में खाद का स्टॉक दिख रहा है।

लेकिन सच यह है कि डीलर कमी बताकर अधिक कीमत वसूल रहे हैं। कई जिलों में कालाबाजारी से किसान परेशान हैं।

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