बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में एक बड़ी लापरवाही का पर्दाफाश हुआ है. यह इतनी बड़ी घटना है कि पीएमसीएच प्रशासन और बिहार सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. कोरोना से लड़ाई को लेकर नीतीश सरकार कितनी गंभीर है. इस घटना ने हेल्थ डिपार्टमेंट को बेनकाब कर दिया है. दरअसल राजधानी स्थित पीएमसीएच में जिंदा मरीज को मुर्दा घोषित करने का मामला सामने आया है ।

रविवार को पीएमसीएच में एक जिंदा  मरीज को डॉक्टरों ने मुर्दा घोषित कर दिया. पीएमसीएच में इलाज करा रहे 40 साल के मरीज को अस्पताल प्रबंधन की ओर से मृत्यु का प्रमाणपत्र भी सौंप दिया गया. और तो और, उसकी डेड बॉडी भी परिजनों को सौंप दी गई लेकिन श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के समय मृतक के परिजनों ने जैसे ही शव के ऊपर से कवर को हटाया, उनके पैर तले जमीन खिसक गई. उनके होश उड़ गए. क्योंकि ये उस व्यक्ति की लाश नहीं थी, जिसका वे इलाज कराने आये थे ।

बताया जा रहा है कि पटना के बाढ़ के रहने वाले चुन्नू कुमार को ब्रेन हैमरेज हुआ था. परसो 9 अप्रैल को उसे पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था. डॉक्टर इनका इलाज कर रहे थे. इसी बीच उनके घरवालों को सूचना दी गई कि चुन्नू कुमार की मौत हो गई है. जिंदा चुन्नू की मौत की खबर मिलते ही परिजन आनन-फानन में बाढ़ से पटना आये ।

परिजनों के पीएमसीच पहुंचते ही अस्पताल प्रबंधन की ओर उन्हें जिंदा चुन्नू का डेथ सर्टिफिकेट सौंप दिया गया. हद तो तब हो गई जब पीएमसीएच से उन्हें एक लाश भी दे दी गई. चुन्नू के परिजन किसी और की डेड बॉडी को चुन्नू का लाश समझकर उसका अंतिम संस्कार करने पटना के बांस घाट पर पहुंचे ।

श्मशान घाट पर शव को जलाने से पहले चुन्नू कुमार की पत्नी कविता देवी आखिरी बार अपने अपने पति चुन्नू का चेहरा देखने की इक्षा व्यक्त की. कविता देवी की बात मानकर जब परिजनों ने लाश के चेहरे से कवर को हटाया तो उनके होश उड़ गए. दरअसल चुन्नू समझकर जिसका वे अंतिम संस्कार कर रहे थे, वे चुन्नू की नहीं बल्कि किसी और की लाश थी ।

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