कहते हैं कोरोना से डरना नहीं है बल्कि अपनी समझदारी दिखाते इससे लड़ना जरूर है लेकिन कोरोना का भय किस कदर इंसान के अंदर घर कर बैठा इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दरभंगा के (DMCH Hospital) अस्पताल में जब एक बुजुर्ग की मौत कोरोना से हो गई तो परिवार ने शव को लेने से ही इनकार कर दिया ।

इतना ही नही मृतक बुजुर्ग के बेटे ने तो अस्पताल प्रशासन को लिखित देते हुए शव लेने और अंतिम संस्कार करने में असमर्थता जताई, यानी कोरोना का भय इतना ज्यादा दिखा की बेटा ने अपना न सिर्फ पुत्र धर्म भूल गया बल्कि मृतक के घर, परिवार और समाज के लोग स्नातन धर्म के मूल सिद्धांत भी निभाने सामने नही आये ।

खुद को किया अलग

ऐसे में जब इसकी सूचना कबीर सेवा संस्थान को मिली तो उसने हिम्मत दिखाई और चार पांच लोग पीपीई किट पहन मानव सेवा धर्म की रक्षा करते हुए बुजुर्ग के शव को पूरे हिन्दू रीति रिवाज से देर रात दाह संस्कार कर यह साबित कर दिया कि आज भी मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है ।

खास बात यह रही कि इस दाह संस्कार में एक मुस्लिम युवक की अहम भूमिका रही. शव के दाह संस्कार के बाद सभी लोगों ने खुद को होम आइसोलेशन में डाल लिया है और अपनी कोरोना जांच रिपोर्ट आने तक खुद को अलग रहने का फैसला किया है ।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 5 years.