आज दुनिया में जितने भी करोड़पति अरबपति हुए हैं उनकी सफलता के पीछे उनकी मेहनत और उनके काम में लाया गया वह परिवर्तन है, जिसने इन लोगों को आज ऊंचाइयों पर पहुँचा दिया है I
आज हम एक ऐसे ही व्यक्ति खेमाराम चौधरी के बारे में बात करने जा रहे हैं। खेमाराम जी राजस्थान (Rajasthan) के रहने वाले हैं और एक किसान है। इन्होंने अपनी खेती में इज़राइल (Israel) की हाईटेक टेक्नोलॉजी (Technology) अपनाकर अपना सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपए तक कर लिया है।
खेमाराम चौधरी की उम्र 45 वर्ष है और जयपुर के गाँव गुड़ा कुमावतान के रहने वाले हैं। नौवीं कक्षा तक पढ़े खेमाराम जी की परिस्थिति भी पांच वर्ष पूर्व अन्य साधारण किसानों की तरह ही हुआ करती थी। 15 वर्षों पहले तो उनके पिताजी कर्ज़ से डूब गए थे, क्योंकि वह अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे इसलिए अपने परिवार का ख़र्च चलाने के लिए खेती का कार्य ही इनकी कमाई का मुख्य ज़रिया था। घर के हालात अच्छे नहीं थे लेकिन वह खेती में ही कुछ अलग करना चाहते थे।
फिर जब उन्होंने इजरायल की आधुनिक खेती की टेक्नोलॉजी के बारे में जाना, जिसमें रेगिस्तान की औंस से सिंचाई करके दीवारों पर गेहूँ, धान उगाए जाते हैं तो उन्होंने तकनीक को अपनी खेती में भी अपनाया और इसी कारण आज उनकी खेती के क्षेत्र को मिनी इजरायल के नाम से जाना जाता है। उन्होंने एक छोटी-सी शुरुआत की जिसमें इन्होंने 4 साल पहले संरक्षित खेती यानी पॉलीहाउस (Polyhouse Farming) शुरू किया था जिसकी संख्या आज बढ़ते-बढ़ते 200 के करीब पहुँच गई है।
खेमाराम जी को इजरायल की तकनीक सीखने के लिए वहाँ जाने की आवश्यकता थी और उन्हें यह अवसर राजस्थान की सरकार द्वारा प्राप्त हुआ। इजराइल जाकर खेमाराम जी ने कृषि की आधुनिक तकनीक सीखी जब उन्हें इस तकनीक में काफ़ी मुनाफा नज़र आया तो उन्होंने फ़ैसला कर लिया वे इसी तकनीक से खेती करेंगे। वापस राजस्थान लौटने के बाद खेमाराम जी के पास पैसों की कमी थी। लेकिन सरकार से सब्सिडी मिलने के बाद उन्होंने अपना पहला पॉली हाउस 4000 वर्ग मीटर में लगाया और खेती की शुरुआत की।
जब उन्होंने पहली बार खीरा बोया था, उसमें 1.5 लाख का ख़र्च आया था। वहीं चार महीने में उसी खीरे को 12 लाख रुपये में बेच दिया। यह आधुनिक तकनीक द्वारा खेमाराम जी का पहला अनुभव था। आपको बता दें कि राजस्थान का पहला फैन पैड भी उन्हीं के खेत में लगा था, जो उन्होंने 80 लाख रुपए की लागत में 10 हज़ार वर्गमीटर में लगवाया।
गांवों में अक्सर बिजली की कटौती होती रहती है, इस समस्या को हल करने के लिए खेमाराम जी ने अपने खेत में सरकारी सब्सिडी की सहायता लेकर 15 वाट का सोलर पैनल लगवाया तथा स्वयं की कमाई से भी 25 वाट का एक पैनल लगवाया। इस प्रकार उनके पास 40 वाट का सोलर पैनल लगा हुआ है।