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18 साल पहले दिमागी रूप से बीमार एक महिला पद्मिनी नायक कटक चंदबली रोड के नजदीक थी. उसपर नजर पड़ी ‘परिवार’ की. ये  एक समाजिक संस्था है. 30 साल की पद्मिनी मुश्किल से बोल पा रही थी. वह कुपोषित लग रही थी. वह रो और चिल्ला रही थी

संस्था के लोग उसे जनानी आश्रम ले गए और ट्रीटमेंट उपलब्द कराए. अब वह बोलती हैं और अब आश्रम में ही रहकर खेती के साथ-साथ डेयरी का काम करती हैं. आश्रम में पद्मिनी की ही तरह 22 दूसरी महिलाएं भी हैं

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न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 9 एकड़ में फैले इस आश्रम को इसकी  सचिव संयुक्ता भारतीय मैनेज करती हैं. उनके साथ लोभाबती साहू और प्रदिप्ता परीदा भी लगी रहती हैं. वे सब साल 2006 से वहां काम कर रही हैं

आश्रम 2 एकड़ के क्षेत्र में है. बाकी के क्षेत्र में वे खेती और डेयरी फार्मिंग करती हैं. सरकारी सहायता के अभाव में इसी से आश्रम का खर्चा चलता है और चीजें बेहतर होती जा रही हैं. वे लोग मेंटली चेलेंज्ड लोगों के लिए काम करती हैं. खासकर महिलाओं के लिए.  े लोग एससीबी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल  के मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूट में उनका इलाज भी कराती हैं

उनका मानना है कि फिजिकल वर्क उन्हें स्वस्थ बनाता है. वह बेहतर तरीके से सो पाती हैं और स्वस्थ रहती हैं. वे लोग पर्सनल हाइजीन के बारे में उन्हें बताते हैं और स्वस्थ रहने के तरीके के बारे में सिखाती हैं

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