हमारे आसपास दूसरों की मदद करने वाले बहुत से हाथ हैं लेकिन अधिकांश लोग किसी की मदद करने से पहले अपने बारे में सोचते हैं
लोग सोचते हैं जब तक हम खुद मजबूत नहीं होंगे तब तक दूसरों की मदद कैसे कर पाएंगे लेकिन तमिलनाडु के ये पति पत्नी अन्य लोगों से हटकर सोचते हैं
पिछले साल एक तरफ जहां दुनिया का सामना अब तक के सबसे बड़े विलन करोना से हुआ वहीं हमें कई ऐसे हीरो भी मिले जिन्हें हम पहले से बिलकुल नहीं जानते थे
ये दंपति उन्हीं अनजान हीरोज़ में से एक हैं जो कोरोना काल के समय जरूरतमंद लोगों के लिए फरिश्ता बन कर सामने आए. इनकी कहानी जान कर आप इन्हें दिल से सलाम करने पर विवश हो जाएंगे
अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसा क्या खास काम किया है इन्होंने जिसकी वजह से इन्हें हीरोज़ कहा जा रहा है तो आपको बता दें कि इन्होंने वो किया है जिसके लिए पूरी दुनिया दिन रात मेहनत करती है. इन्होंने जरूरतमंद लोगों के लिए रोटी का उपाय किया है. जी हां, तमिलनाडु के त्रिची के इस दंपति ने उन लोगों का पेट भरा है जिनकी भूखे मरने की नौबत आ गई थी
पिछले साल कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर के लोगों का जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया लेकिन इसका सबसे बुरा असर दिखा समाज के उस तबके पर जो पानी के लिए रोज़ कुआं खोदने जैसा काम करते हैं, जिनके अकाउंट में हर महीने सैलरी क्रेडिट नहीं होती, ये हर रोज़ काम करते हैं तब जा कर इन्हें रोटी नसीब होती है
ऐसे मजदूर लॉकडाउन के समय भूख से तड़प रहे थे क्योंकि घर से मिलों दूर रह रहे इन मजदूरों के पास इतने पैसे भी नहीं बचे थे कि ये लोग राशन खरीद सकें
ऐसे में तमिलनाडु की 40 वर्षीय महिला पुष्पारानी सी तथा इनके पति चंद्रशेखर ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आए. चंद्रशेखर और इनकी पत्नी ने कोरोना काल के दौरान देखा कि इनके पड़ोस में रहने वाले कुछ लोग भूख से तड़प रहे थे
उनके पास खाने को एक दाना अनाज नहीं बचा था. इस दंपति से ऐसे लोगों की तड़प देखी नहीं जा रही थी. ये लोग इनके लिए कुछ करना चाहते थे
लॉकडाउन में छूट मिलते ही ये दोनों बैंक पहुंचे और 50,000 का लोन ले लिया. इन पैसों से इन्होंने सड़क किनारे एक ठेला लगाया और एक रुपए से भी कम दाम में लोगों को खाना खिलाने लगे
ये दाम आम लोगों के लिए था, ऐसे लोग जिनके पास पैसे नहीं थे या फिर कमाई का कोई जरिया नहीं था उन्हें ये दंपति मुफ़्त में खान खिला रहे थे. हर रोज़ इनके ठेले पर से तकरीबन 400 लोग खाना खाते रहे हैं