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कुछ कहानियां समाज के हर वर्ग को प्रेरित करती हैं. अब्दुल अलीम की कहानी कुछ ऐसी ही है. चेन्नई स्थित ज़ोहो स्टार्टअप में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते-करते 10वीं पास इस लड़के ने कब एक बढ़िया ऐप बना डाला उसे पता नहीं चला

अपने इस काम से अब्दुल ने न सिर्फ़ अपनी कंपनी के लोगों को प्रभावित किया, बल्कि, समाज के उन लोगों के लिए उदाहरण बनकर उभरा, जो गरीबी का रोना रोते हुए आगे नहीं बढ़ते

कभी ज़ोहो स्टार्टअप में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाला यह लड़का अब कंपनी की टेक्निकल टीम के साथ काम करता है

अपने 8 साल के कार्यकाल में अब्दुल ने कामयाबी की कई सीढ़ियां चढ़ने में सफल रहे. मगर वो अपने पुराने दिनों को नहीं भूले. अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट में अब्दुल अपने बीते दिनों को याद करते हुए अपनी पूरी कहानी लोगों के साथ शेयर की है

”जब मैंने उन्हें बताया कि स्कूल में मैंने थोड़ा-बहुत एचटीएमएल के बारे में पढ़ा था. तब उन्होंने कहा कि क्या तुम इसे और अधिक सीखना चाहोगे. मैंने हां कर दी और मेरी पढ़ाई शुरु हो गई

हर दिन अपनी 12 घंटे की ड्यूटी पूरी करने के बाद मैंने सीनियर को वक्त देना शुरू कर दिया. लगभग आठ महीने बाद, मैं अंतत: एक छोटा सा ऐप बनाने में सफल रहा. एक ऐसा ऐप, जो यूजर इनपुट लेता है और उसे विजुअलाइज करता है

”आगे मेरे सीनियर ने उसे कंपनी के मैनेजमेंट को दिखाया. वहां से हरी झंड़ी मिलने के बाद मेरा इंटरव्यू हुआ और मैं इसमें सफल रहा. आज मैंने जोहो में अपने शानदार आठ साल पूरे कर लिए हैं

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अब्दुल ने अपनी इस सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि किस तरह से ज़ोहो के एक सीनियर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और साथ काम करने का मौका दिया

उन्होंने न सिर्फ अब्दुल को ट्रेन किया, बल्कि प्रेरित किया. उन्हीं के मार्गदर्शन के कारण वो ऐप बनाने में सफल रहे. अब्दुल के मुताबिक डिग्री से ज्यादा स्किल्स की ज़रूरत होती है. ज़ोहो में काम करते हुए उन्हें इस बात को खुद महसूस किया है

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