भारतीय क्रिकेट टीम के लिए डेब्‍यू मैच में ही रंग जमाने के बाद ईशान किशन ने अपनी बल्‍लेबाजी से सबको मुरीद बना लिया. महज 32 गेंदों में 56 रन बनाकर ईशान ने न सिर्फ भारत की जीत की बुनियाद रखी, बल्कि टी20 सीरीज में भारत की वापसी का रास्‍ता भी साफ कर दिया

ईशान किशन की ज़िन्दगी से जुड़े कई किस्से दिलचस्प हैं. कहते हैं वो बचपन में बैट-बॉल अपने साथ लेकर सोते थे

क्रिकेट के जुनून की वजह से उन्हें स्कूल से भी निकाल दिया गया था. आज ईशान अपनी मेहनत के दम पर शानदार क्रिकेटर्स में शुमार हैं

उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा हर किसी को मनवाया है. क्रिकेट जगत में उनका नाम एक चमकते सितारे की तरह है. वो अपने लंबे-लंबे छक्कों से क्रिकेट फैन्स का दिल जीत रहे हैं

पढ़ाई में रहे जीरो, स्कूल से भी निकाल दिया गया

बिहार के पटना में 18 जुलाई 1998 को ईशान किशन का जन्म हुआ. इनके पिता प्रणव पाण्डेय एक बिल्डर हैं. ईशान के बड़े भाई राज किशन भी स्टेट लेवल पर क्रिकेट खेल चुके हैं

वहीं ईशान को बचपन से ही क्रिकेट में बड़ी दिलचस्पी थी. जब भी उन्हें थोड़ा समय भी मिलता वो क्रिकेट खेलने चले जाते

उनके माता-पिता ने बेटे को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए पटना के सबसे बड़े स्कूल डीपीएस में दाखिला करवाया था

मां सुचिता सिंह बेटे को पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाना चाहती थीं. लेकिन, ईशान का पढ़ाई में मन जरा से भी नहीं लगता था. वो क्लास के दौरान अपनी कॉपी में क्रिकेट संबंधी चित्र बनाते थे

उनके क्रिकेट खेलने को लेकर मां अक्सर उन्हें डांट लगाती थीं. पढ़ाई में कमज़ोर होने की वजह से उन्हें स्कूल से भी निकाल दिया गया. ईशान बचपन से ही हर वक़्त क्रिकेट के बारे में ही सोचते थे

खैर, ईशान ने छोटी उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया. महज सात साल की उम्र में ईशान यूपी के अलीगढ़ में स्कूल वर्ल्डकप टूर्नामेंट में अपनी स्कूल का प्रतिनिधित्व किया था

वे अपने बड़े भाई के साथ भी क्रिकेट खेलते थे. स्कूल से निकाले जाने के बाद उनके भाई ने ही उनकी प्रतिभा को पहचाना और उनको क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने इसके लिए पिता को भी राजी किया

ईशान को बचपन में उत्तम मजूमदार के रूप में कोच का साथ मिला. जिन्होंने उन्हें क्रिकेट की बेसिक के बारे में सिखाया. उन दिनों वे बिहार क्रिकेट एशोसिएशन के लिए अपनी सेवाएं दे रहे थे

पिता उन्हें प्रतिदिन मोइनुल हक़ स्टेडियम लेकर जाते. जहां ईशान जमकर मेहनत करते थे. फिर उन्हें कोच सतोष कुमार का साथ मिला. जो पटना के वाईसीसी क्रिकेट अकादमी में ट्रेनिंग दिया करते थे

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