एक तरफ राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के दावे करती है, स्वास्थ्य मंत्री विधानसभा में प्रर्याप्त डॉक्टर और स्टाफ होने की बात करते हैं। बेहतर सुविधा की बात होती है।

लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसी तस्वीर सामने आ जाती है, जिस देखने के बाद इन दावों पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है।

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समस्तीपुर के सदर अस्पताल से भी ऐसी ही कुछ तस्वीरें सामने आई है, जहां एक युवक हाथ में ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर जाता हुआ दिख रहा है, वहीं सिलेंडर से निकली एक पाइप पीछे चल रही महिला के गोद में मौजूद बच्चे से जुड़ा है।

यह वो तस्वीर है जो अस्पताल की व्यवस्था की पूरी सच्चाई बयां करता है।

बच्चे और सिलेंडर को थामे महिला और युवक पूरे अस्पताल का चक्कर लगाते हैं, लेकिन अस्पताल के किसी स्टाफ ने न तो उन्हें स्ट्रेचर उपलब्ध कराया, न उनकी कोई मदद की।

मोरवा से आए थे अस्पताल

बताया गया कि वह सभी मोरवा प्रखंड अस्पताल से बच्चे का इलाज कराने आये थे।

इस दौरान मोरवा अस्पताल की तरफ से एबुंलेंस की सुविधा देने की जगह सिर्फ ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया गया

जिसके बाद प्राइवेट कार से वह सभी सदर अस्पताल पहुंचे। सवाल यह कि इस दौरान बच्चे को कुछ होता तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होती।

input – samastipurtown

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