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बिहार वासियों को अब सपनो का घर बनाना बहुत ही आसान हो जायगा. बता दे की राज्य में सीमेंट 400 रुपये प्रति बैग पहुंच गया था, वह अब 385 से 390 रुपये प्रति बैग मिल रहा है. वहीं सरिया (छड़) भी 75 रुपये प्रति किलो की जगह अब 60 रुपये प्रति कि‍लो मिल रहा है. इस तरह सीमेंट 10 से 15 रुपये प्रति बैग सस्ता हुआ है, जबकि सरि‍या की कीमत में 15 रुपये प्रति कि‍लो की कमी आयी है. इसके कारण मकान बनवा रहे लोगों को कुछ राहत मि‍ली है.

कीमतों में और भी कमी होने की उम्मीद

जानकारों की माने तो मार्च-अप्रैल में डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से उत्पादन लागत और परिवहन खर्च बढ़ने से सीमेंट और सरिया की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हुई थी. सीमेंट और सरिया कंपनियां उत्पादन लागत में बढ़ोतरी का हवाला देकर लगातार कीमतें बढ़ा रही थीं. वहीं पिछले दिनों केंद्र सरकार ने टैक्स कम करते हुए डीजल की कीमत में एक बार में लगभग 10 रुपये की कमी कर दी थी. इसका असर अब बाजार में दिखने लगा है. जानकारों की मानें, तो बारिश में निर्माण कार्यों में कमी के कारण आने वाले दिनों में कीमतों में और भी कमी हो सकती है.

मार्च में 55 रुपये किलो था सरिया

आपको बता दे की मार्च में लोकल ब्रांड सरिया 55 रुपये किलो की दर से मिल रहा था. अप्रैल में इसकी कीमत 70 रुपये तक हो गयी. मई में यह 75 रुपये किलो तक बिका. अब इसकी कीमत 60 रुपये है. ब्रांडेड सरिया का भाव भी 10 से 12 रुपये प्रति कि‍लो कम हो चुका है. अभी ब्रांडेड सरिया का भाव कम होकर 70 रुपये प्रति कि‍लो पर आ गया है. जबकि एक महीने पहले इनका भाव 80 से 85 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था. शेष बिल्डिंग मेटेरियल की कीमतों में खास फर्क नहीं पड़ा है. मई के मुकाबले बालू, ईंट और गि‍ट्टी में 5 हजार से 2500 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है.

एक नजर में कीमत

  • आइटम———————-मई ————– जून
  • सरिया (लोकल ब्रांड) —- 75 रुपये —- 60 रुपये प्रति किलो
  • सरिया ( बड़े ब्रांड) —- 85 रुपये ——70 रुपये प्रति किलो
  • सीमेंट —- ————-400 रुपये —– 385 से 390 रुपये /बैग
  • ईंट —- ————- 5-16 हजार —- 18-20 हजार रुपये/हजार
  • बालू —- ————- 6000 रुपये —- 8500 रुपये प्रति ट्रैक्टर
  • गिट्टी —————- 6500 रुपये —- 9000 रुपये प्रति ट्रैक्टर

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 5 years.