एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सबको हैरान कर दिया है
दरअसल चोरी के आरोप में जेल जा चुके एक युवक ने बिहार दरोगा की प्राथमिक और मुख्य परीक्षा पास कर ली है
मामला नालंदा जिले का है. किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी युवक को किशोरावस्था में किए गए अपराध दोष से मुक्त कर दिया है. जिसकी काफी सराहना हो रही है
मामला नालंदा जिले के हिलसा का है. जहां एक आरोपी युवक ने जिला किशोर न्याय परिषद के समक्ष अपना बिहार पुलिस अवर सेवा मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने का परीक्षाफल दिखाते हुए आचरण प्रमाण पत्र में इस आरोप के दर्ज होने पर करियर बर्बाद होने की चिंता जताई
जिसके बाद प्रधान दंडाधिकारी ने उसके हक में यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया
आरोपी ने किशोर न्याय परिषद के समक्ष उपस्थित होकर कहा कि 14 साल से कम उम्र में मेरे ऊपर चोरी का एकमात्र आरोप पुलिस के अनुसंधान पदाधिकारी द्वारा लगाया गया है
मैं निर्दोष हूं. वहीं इसके अलावा मुझपर अन्य कोई आरोप नहीं हैं. यदि मुझे दोष मुक्त नहीं किया गया तो मैं दारोगा बनने से वंचित हो सकता हूं. एसपी द्वारा जारी चरित्र प्रमाण पत्र में मेरे ऊपर लगे आरोप का जिक्र कर दिया जाएगा और मुझे दारोगा की नौकरी से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा
इन सभी बिंदुओं पर किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा ने मानवीय दृष्टिकोण से विचार किया और कौशल को चोरी के आरोप से दोष मुक्त कर दिया
उन्होंने फैसले में लिखा कि चूंकि आरोपी के साथ चार अन्य वयस्क आरोपियों के नाम भी चोरी में शामिल हैं, इसलिए यह संभव है कि उन चारों ने आरोपी पर दबाव बनाया या भय या लोभ देकर इस घटना में शामिल कराया
उन्होंने फैसले में लिखा कि यह सम्भव है, कौशल का किशोर मन उन चारों के प्रभाव में आकर भटक गया हो. उस एक मात्र घटना के बाद इस पर कभी भी किसी तरह के अपराध में शामिल रहने के आरोप नहीं लगे
अब जब कौशल कड़ी मेहनत कर दारोगा बनने के लिए अंतिम टेस्ट देने वाला है, इसलिए उन्हें भविष्य संवारने का मौका देते हुए दोष मुक्त किया जाता है