पिछले कुछ दिनों से भारतीय बैंक एफडी रेट में बढ़ोतरी कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा अपनी मोनेटरी पॉलिसी बैठक में नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) उन बैंकों में शामिल थे जिन्होंने अपने फिक्स्ड डिपाजिट (एफडी) पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। खास बात यह है की SBI ने 2 साल से ऊपर की अवधि के लिए सावधि जमा पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। 2-3 साल की अवधि के लिए सावधि जमा पर ब्याज दरों को पहले के 5.10% से बढ़ाकर 5.20% कर दिया गया है। इस बीच, 2-5 साल की सावधि जमा अवधि पर दरों को 15 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.45% कर दिया गया है। 5-10 साल की अवधि वाली सावधि जमाओं के लिए ब्याज दरों को बढ़ाकर 5.50% कर दिया गया है। संशोधित ब्याज दरें 15 फरवरी से लागू हैं।
एचडीएफसी बैंक की नई दरें : आपको बता दे की एचडीएफसी बैंक ने एक साल की अवधि की फिक्स्ड डिपाजिट पर ब्याज दर 10 आधार अंकों से बढ़ाकर 5% कर दी है। 3-5 साल की अवधि के साथ जमा पर दरों को 5 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.45% कर दिया गया है। FD की संशोधित ब्याज दरें 14 फरवरी से लागू हैं। यूको बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने भी आरबीआई एमपीसी द्वारा रेपो (Repo) और रिवर्स रेपो दरों (Reverse Repo Rate) को अपरिवर्तित रखने की घोषणा के तुरंत बाद एफडी पर ब्याज दरों में संशोधन किया। ये संशोधित दरें 10 फरवरी से लागू हो गई हैं।
तो बैंक क्यों बढ़ा रहे हैं FD की ब्याज दरें? : जानकारों की माने तो बैंकों ने एफडी दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की है क्योंकि भारत में मुद्रास्फीति की दर उच्च प्रक्षेपवक्र पर है। जीसीएल सिक्योरिटीज के रवि सिंघल ने कहा, “मुद्रास्फीति प्रमुख कारणों में से एक है जो ब्याज दर के स्तर को प्रभावित करता है। मुद्रास्फीति की दर जितनी अधिक होगी, ब्याज दरों में उतनी ही अधिक वृद्धि होने की संभावना है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऋणदाता भविष्य में भुगतान किए गए धन की क्रय शक्ति में कमी के मुआवजे के रूप में उच्च ब्याज दरों की मांग करेंगे। रवि सिंघल के कहना है, “चूंकि भारत में मुद्रास्फीति की दर ऊंचाई की तरफ बढ़ रही है, इसलिए अधिकांश बैंक उपभोक्ता को भविष्य में होने वाली मुद्रास्फीति से बचाने के लिए एफडी दरों में वृद्धि कर रहे हैं।”