बिहार के लोगों के लिए एक बहुत ही खुशी की खबर है. जानकारी के अनुसार भारत सरकार बिहार में मिनी फूड पार्कों का नेटवर्क स्थापित करने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने इसके लिए सघन सर्वेक्षण के निर्देश दिए हैं। इसके तहत मखाना, लीची और केला पर आधारित उत्पादों के मिनी फूड पार्कों का नेटवर्क बनाया जाएगा। इसके अलावा आलू और मक्का से आधुनिक तकनीक के जरिए नए-नए खाद्य उत्पाद तैयार करने वाले उद्योगों की शृंखला की संभावना भी केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय तलाशेगा।

आपको बता दे की बिहार में पैदा होने वाले खाद्य उत्पादों को बिहार के अन्दर लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए कोल्ड चेन नेटवर्क मसलन कोल्ड स्टोरेज, फ्रोजेन सेंटर या फ्रीज वैन का नेटवर्क स्थापित करना भी इसके तहत शामिल है। खाद्य उत्पादों पर आधारित उद्योगों की पैकेजिंग या दूसरे सहायक उद्योगों की संभावना पर भी इसके तहत गौर किया जा रहा है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के सर्वेक्षण में चर्चित फलों या फसलों के अलावा बाकी पैदावारों के प्रसंस्करण की संभावना तलाशी जाएगी। इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विशेषज्ञों और शोध संस्थाओं की भी सेवा ली जाएगी।

पटना में खाद्य प्रसंसस्कण मंत्रालय खोलेगा क्षेत्रीय कार्यालय : मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार में मिनी फूड पार्कों की शृंखला को संभव बनाने के लिए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय पटना में क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करेगा। ललित भवन के बगल में स्थित एक सरकारी भवन को इसके लिए चिह्नित किया गया है। तीन जनवरी को इस कार्यालय का उद्घाटन होगा। केंद्रीय मंत्रालय के वरिष्ठ पदाधिकारी के नेतृत्व में यह क्षेत्रीय कार्यालय संचालित होगा। यहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विशेषज्ञों की एक टीम भी तैनात रहेगी। यह टीम बिहार के हर इलाके के लिए वहां होने वाले कृषि, वानिकी और उद्यानिकी उत्पादों पर आधारित उद्योगों के लिए मिनी फूड पार्कों का खाका तैयार करेगी। इससे जुड़ने वाले किसानों और उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण का भी कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। इससे संभावित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगारों का लक्ष्य हासिल करने के लिए भी अलग से योजना तैयार की जाएगी।

क्या है मिनी फूड पार्क ” बताया जा रहा है की मिनी फूड पार्क खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का एक परिसर होता है। वहां कई खाद्य प्रंसस्करण औद्योगिक इकाइयों को एक ही परिसर में लगाया जाता है। उनकी सुविधा के लिए परिसर में शीत संयंत्र, पैकेजिंग प्लांट और ग्राइंडिंग, रिफाइनिंग तथा क्वालिटी कंट्रोल के लिए परिसर में ही सहायक इकाई होती है। कोल्ड वैन जैसा लॉजिस्टिक सपोर्ट भी मिलता है। इन सब पर हर उद्यमी के अलग-अलग निवेश नहीं करने के कारण उत्पादन लागत काफी कम हो जाती है।

बताते चले की बिहार में मखाना, लीची, केला, आलू, मक्का पर आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग बड़े पैमाने पर लगवाने की योजना हमारे मंत्रालय ने तैयार की है। इसके लिए मिनी फूड पार्क स्थापित किए जाएंगे। सर्वेक्षण के आदेश दिए गए हैं। इस आधार पर अलग-अलग इलाकों को अलग-अलग उत्पादों के लिए चिह्नित किया जाएगा। पशुपति कुमार पारस, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री

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