बुढ़ापा से मुक्ति के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) भागलपुर ने एक अनोखा रिसर्च किया है. यह रिसर्च काला अमरूद पर किया गया है. बता दे की बिहार के भागलपुर में पहली बार काले अमरूद का उत्पादन शुरू हुआ है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) में विकसित की गई अमरूद की इस अनूठी किस्म ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का दावा है कि काला अमरूद में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है जो बुढ़ापा आने से रोकता है. इसे खाने से लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
आपको बता दे की काले अमरूद को बिहार कृषि विश्वविद्यालय में तीन साल से ज्यादा समय तक साइंटफिक रिसर्च के साथ विकसित किया गया है। इसके आकार, सुगंध में कुछ सुधार के बाद जल्द ही इसे व्यावसायिक खेती के लिए लॉन्च किए जाने की संभावना है। बताते चले की देश में अभी इस प्रकार के अमरूद का व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं हो रहा है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान (शोध) के सह निदेशक डॉ. फिजा अहमद ने बताया कि बीएयू में पहली बार यह फल लगा है. यहां की मिट्टी व वातावरण इस फल के लिए उपयुक्त है. दो साल में यह फल देने लगता है. अब इसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है, ताकि यह बाजार में बिक सके.
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान (शोध) के सह निदेशक डॉ. फिजा अहमद ने कहा कि अमरूद की यह किस्म एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। 100 ग्राम अमरूद में लगभग 250 मिलीग्राम विटामिन-सी, विटामिन-ए और बी, कैल्शियम और आयरन के अलावा अन्य मल्टीविटामिन और मिनरल्स होते हैं। एक अमरूद औसतन सौ-सौ ग्राम के आसपास का है. बीएयू अब इस शोध में जुट गया है कि कैसे इस पौधे को आम किसान उपयोग में लाए. विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी तक देश में इस अमरूद का व्यावसायिक उपयोग नहीं हो रहा है.