बिहार के कई जिले इन दिनों बाढ़ (Bihar Flood) से प्रभावित हैं, जिसके कारण राज्य में दूध उत्पादन में भारी कमी हो गई है. बाढ़ प्रभावित जिलों में जहां दूध के उत्पादन में करीब 20 फीसदी की कमी आई है, तो वहीं कलेक्शन में भी 30 फीसदी की कमी आई है. बाढ़ प्रभावित इलाके में पशुओं को हरा चारा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. हरा चारा डूब गया है और सूखा चारा भी पानी में भींग गया है. ऐसे में पशुओं को भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है, इसके कारण दूध उत्पादन (Bihar Milk Production) में कमी आई है. हरे चारे की कमी की भरपाई किसान पशु आहार से कर रहे हैं. इसके चलते उनका खर्च बढ़ गया है. इधर चारा की कीमत भी बढ़ गई है, जिससे पशु पालकों की परेशानी बढ़ गई है.

जहां पहले चारा 500 रुपये प्रति क्विंटल था तो वहीं अब बाढ़ के चलते यह 1000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. इसके कारण पशुपालक मवेशियों को भरपेट चारा नहीं खिला पा रहे हैं. सरकार की तरफ से बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुंचाने और पशुओं के लिए चारा देने के लिए इंतजाम किए गए हैं, लेकिन ये काफी नही हो पा रहा है. एक पशु के लिए 5 किलोग्राम चारा उपलब्ध कराया जा रहा है. पशुपालकों का कहना है कि सरकार का यह प्रयास नकाफी है. कम्फेड के एमडी राजीव वर्मा की मानें तो पहले प्रतिदिन 17 लाख लीटर दूध संग्रह किया जाता था वर्तमान में 15 लाख लीटर दूध ही संग्रह हो पा रहा है. रक्षाबंधन पर्व के कारण दूध की खपत काफी बढ़ जाती है.

वर्तमान में बिहार के कई जिलों में बाढ़ के कारण आवागमन बंद है जिसके चलते दूध संग्रह में भी काफी दिक्कत हो रही है. राजधानी पटना में जहां रोज 5 लाख लीटर से अधिक दूध की खपत होती है तो वहीं पर्व के समय खपत बढ़ जाती है. इन दिनों 2-3 लाख लीटर दूध की ही आपूर्ति हो पा रही है. पशुपालक अवध राय ने कहा कि बाढ़ के समय हर साल पशुओं को काफी दिक्कत होती है. पशुओं को हरा घास नहीं मिल पाता है. बाढ़ के कारण हम लोग दाना और चारा पर्याप्त मात्रा में नहीं दे पाते हैं इस कारण से मवेशी दूध देना कम कर देते हैं. बरसात के दिनों में हरे चारे की किल्लत सबसे अधिक होती है.

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