बुजुर्गों को कई परेशानियों से बचाने वाली छड़ी व छाता डिजाइन किया गया है। यही नहीं, छड़ी व छाता किसी परेशानी में पड़ने पर बुजुर्ग की लोकेशन भी घरवालों को भेज देगा। दोनों की डिजाइन को पेटेंट के लिए भेजा गया है। व्यावसायिक उत्पादन होने पर ये 500 से 600 रुपये में उपलब्ध हो सकेंगे। पं. द्वारकाप्रसाद मिश्र भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी, अभिकल्पन एवं विनिर्माण संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफार्मेशन डिजाइन एंड मैन्यूफैक्चरिंग- ट्रिपलआइटीडीएम) के साइंस एंड टेक्नालॉजी विभाग ने इसे तैयार किया है।
विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बिस्वजीत मुखर्जी ने बताया कि यह प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के विज्ञान मंत्रालय ने सौंपा था और समाज उपयोगी शोध के तहत पूरा किया गया है। समाज में बुजुर्गों की कई परेशानियां देखने में आती हैं। ऐसी भी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें बुजुर्ग घर से बाहर होते हैं और अचानक उनकी तबीयत बिगड़ जाती है। ऐसे में उनके स्वजनों तक सूचना पहुंचाना भी बड़ी समस्या बन जाती है। इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए यह छड़ी और छाता बनाया गया है।
डॉ. मुखर्जी के मुताबिक छड़ी और छाते में लाइट और अलार्म का बटन दिया गया है। दो तरह की छड़ी तैयार की गई हैं। एक तो साधारण लाठी जैसी है जो करीब छह फीट लंबी है। इसमें ऊपर लाइट और अलार्म के लिए बटन दिया गया है। इसमें जीपीएस सिस्टम भी लगाया गया है। ताकि आवश्यकता होने पर बुजुर्ग की लोकेशन घरवालों को मिल सके। इसमें एक पाउच भी लगाया गया है। इसमें कुछ छोटी चीजें भी रखी जा सकती हैं।
दूसरे किस्म की छड़ी को सुविधानुसार छोटा या बड़ा किया जा सकता है। बाकी सभी फीचर समान ही हैं। छड़ियों में नीचे एक फुटरेस्ट भी बनाया गया है। जो सहारा देने और चलने में मदद करेगा। इसे वजन में हल्की सामग्री से बनाया गया है। बटन दबाने पर एलईडी लाइट जल जाती है। अंधेरे में यह विशेषता काफी उपयोगी होती है। छड़ी में लगे अलार्म बटन को दबाने पर स्वजनों के पास अलार्म के साथ एक एसएमएस पहुंच जाता है। लोकेशन जीपीएस सिस्टम के माध्यम से स्वजन के मोबाइल पर गूगल मैप में इंगित होगी।
छाते में भी लाइट और एसएमएस अलार्म की सुविधा है। बारिश होने पर छाते को पकड़ना भी मुश्किल काम होता है। इससे हाथों में दर्द होता है। छाते को बांह पर बांधने के लिए एक बेल्ट दिया गया है। यह बिलकुल बीपी मशीन की तरह है जिसे लपेट कर कस दिया जाता है। ऐसा करने पर छाते का वजन सिर्फ हाथ पर नहीं पड़ेगा। छाते को गोलाकार के बजाय अंडाकार रूप दिया गया है, जो बारिश से बचाने में अधिक कारगर होगा।