बूढ़ी गंडक खतरे के निशान से 1.10 मीटर ऊपर बह रही है. मुजफ्फरपुर के कांटी, मोतीपुर व विजयी छपरा में कटाव जारी है. इसको लेकर बांध पर दबाव बना हुआ है. वही अब गंडक नदी एक बार फिर विकराल रूप पकड़ती जा रही है. वही बागमती के जलस्तर में कमी होने से बाढ़ पीड़ितों को काफी राहत मिली है. लखनदेई नदी का पुराना तटबंध आधा दर्जन स्थानों पर पहले ही टूट चुका है. इससे कई जगह पानी घुस गया है.

इधर, शहर समेत आसपास के क्षेत्रों में बूढ़ी गंडक का पानी आ जाने से लोग परेशान है. शहर के निचले इलाके कुंडल, शेखपुर ढ़ाब, झील नगर, कर्पूरी नगर, आश्रम घाट समेत आसपास के बाढ़ प्रभावित मोहल्लों के लोग फोरलेन और बांध पर पलायन कर रहे हैं. मिठन सराय स्थित फोरलेन के साथ मारवाड़ी हाइस्कूल और बूढ़ी गंडक नदी का बांध बाढ़ प्रभावितों का आश्रय स्थल बन चुका है.

मोतीपुर थाना क्षेत्र के मोरसंडी गांव स्थित बूढ़ी गंडक नदी के बांध में सोमवार को कटाव हुआ. इससे बांध पर बसे चार परिवारों में से एक परिवार हरेंद्र पासवान का घर नदी में समा गया. वहीं धर्मेंद्र पासवान, रामजीत पासवान और पारस पासवान के घर पर खतरा मंडरा रहा है. हालांकि सूचना के बाद अंचलाधिकारी अरविंद कुमार अजित की देखरेख में कटाव को रोकने हेतु एहतियाती कदम उठाए गए हैं. बोरी में मिट्टी भर कर कटाव स्थल को भरने का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. फिलहाल कटाव स्थल के मरम्मत का कार्य जारी है. कटावस्थल पर एक विशाल पीपल के पेड़ गिरने से मरम्मत कार्य में सुविधा हो रही है.

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