केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस अभी कम से कम दस दिनों तक विभाग का कामकाज समझेंगे। उसके बाद ही अपनी प्राथमिकता तय करेंगे। अलबत्ता उन्हें रामविलास पासवान का अनुज होने का फख्र है। बकौल पारस, मैं रामविलास पासवान तो नहीं हो सकता, लेकिन उनका कुछ न कुछ गुण तो मुझमें जरूर है। मैं रामविलास का खून तो हूं ही। इस सफेद दामन पर दाग नहीं लगने दूंगा। बहरहाल चिराग को विचार करना चाहिए। मुकदमे से आखिर क्या हासिल होने वाला है!

गुरुवार को पारस ने कहा कि बिहार की दृष्टि से उनके मंत्रालय का काफी महत्व है। बिहार में इस सेक्टर के लिए काफी संभावनाएं हैैं। आम, लीची, मक्का, गन्ना आदि के उत्पादन में बिहार प्रगति कर रहा। इनके प्रसंस्करण उद्योग की बिहार में काफी उम्मीद है। अभी वे दस दिनों तक पूरे विभाग को समझेंगे। उसके बाद संसद का सत्र शुरू होने को है। इस सब के पश्चात ही वे अपनी प्राथमिकता तय करेंगे।

रामविलास जिस मंत्रालय में रहे, चर्चा में रहे

पारस ने कहा कि रामविलास पासवान केंद्र के जिस मंत्रालय में रहे, वहां वे चर्चा में रहे। वे मोबाइल के बैैंगन की तरह बिकने की बात करते थे। आज हर घर में मोबाइल है। यह उनकी ही देन है। मैैं रामविलास पासवान तो नहीं हो सकता, लेकिन उनका खून तो हूं ही। सही तरीके से अपने काम को करूंगा। बिहार में मैैं चार बार मंत्री रहा। सांसद बनने के पहले नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में था। उतने बदनाम महकमे (पशुपालन एवं मत्स्य विभाग) में मैैंने ठीक से काम किया। केंद्र सरकार से दो बार पुरस्कार भी मिला। सफेद कपड़े पर दाग लगने नहीं दूंगा।

रामविलास का असली उत्तराधिकारी मैैं ही

पारस ने कहा कि रामविलास पासवान का असली राजनीतिक उत्तराधिकारी वे ही हैं। चिराग पासवान उनके पुत्र हैैं। संपत्ति पर उनका अधिकार जरूर है। अदालत जाने से क्या होगा? व्यक्ति नहीं, समय बलवान होता है। एक साल पहले चिराग सर्वमान्य नेता माने जाते थे, लेकिन अब नहीं हैं। चाचा होने के नाते मैैंने कहा कि चिराग आत्ममंथन करें।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 5 years.