पश्चिमी चंपारण के बगहा में बरसाती नदियां फिर से बर्बादी की नई कहानी लिख रही हैं. सैकड़ों परिवारों से उनका सबकुछ छिन गया है. कल तक खुशहाल जीवन जीने वाले लोग आज दाने-दाने को मोहताज हैं. जिंदगी बचाने की जद्दोजहद चल रही है. सरकारी मुलाजिम ग्रामीणों की दुर्दशा देखने तक नहीं आए. नतीजतन, ग्रामीणों की जिंदगी के एक-एक पल भगवान भरोसे कट रहे हैं.

चारपाई को स्ट्रेचर बना नदी पार करा रहे मरीज को

बाढ़ की वजह से रामनगर प्रखंड की तीन पंचायतें बगही, सखुआनी और मंचनगवा की सड़कें क्षतिग्रस्त होकर बह गई हैं. मुख्यालय से इन तीन पंचायतों का संपर्क टूट गया है. गांव की होनहार बिटिया पन्ना बीमार हो गई. गांव में इलाज नहीं. तो ग्रामीणों ने चारपाई को स्ट्रेचर बनाया. नदी के बांध को कुदाल चलाकर समतल बनाया. फिर दवा के लिए डॉक्टर के यहां पहुंचाने की मशक्कत जारी है. यह सिर्फ पन्ना की कहानी नहीं, बल्कि इलाज कराने के लिए 13 साल की एक लड़की को चारपाई के सहारे से नदी पार कराया जा रहा है. हर पल कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही हैं जो आजादी के बाद हुए विकास को मुंह चिढ़ा रही हैं. बीमार पन्ना की मां सीमा देवी और वॉर्ड सदस्य जगदीश राम बताते हैं कि जब भी कोई बीमार हो रहा तो इसके अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं है.

खुले आसमान के नीचे जल रहा चूल्हा

मनचंगवा गांव में खुले आसमान के नीचे चूल्हा जलाकर पेट भरने की कोशिश कर रहा है त्रिवेणी राम का परिवार. पहाड़ी नदी ने ऐसा सितम बरपाया कि त्रिवेणी राम का सबकुछ बर्बाद हो गया है. सोने के लिए घर नहीं है, खाने के लिए अनाज नहीं है, भोजन बनाने का चूल्हा भी अब नहीं रहा. ऐसे में यह परिवार लगातार हो रही बारिश के बीच भोजन बनाने के लिए मशक्कत कर रहा है ताकि वे अपने भूखे बच्चों को कुछ खिला सकें. बगहा के दोन इलाके की यह तस्वीर पन्ना और त्रिवेणी की कहानी नहीं बता रही है, बल्कि ऐसे सैकड़ों परिवार हैं जिनकी जिंदगी बोझ बन गई हैं.

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