विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सोयाबीन तेल, बिनौला, मूंगफली, कच्चा पॉम तेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में हानि दर्ज हुई. कम आवक और मांग होने से सरसों तेल के भाव आयातित तेलों की गिरावट से निष्प्रभावी रहे और अपरिवर्तित रुख लिए बंद हुए. बाजार सूत्रों ने बताया कि कल रात से शिकॉगो एक्सचेंज दो प्रतिशत टूटा है, जिसकी वजह से लगभग सारे खाद्य तेल के भाव में गिरावट आई है.

उन्होंने कहा कि देश में सरसों की जो मांग 10-15 दिनों में बरसात के दिनों में बढ़ेगी. सरसों की मंडियों में आवक कम है और इस किल्लत की वजह से राजस्थान और उत्तर- प्रदेश में सरसों मिलें बंद हो रही हैं.

कम हो रही है सरसों की आवक

उन्होंने कहा कि 5-20 बोरी की दैनिक पेराई करने वाले कोल्हुओं की सरसों के एक से सवा लाख लाख बोरी की रोज की मांग है. सलोनी, इंजन, बैल कोल्हु जैसे अन्य बड़े तेल मिलों की रोज की सरसों मांग लगभग डेढ़ लाख बोरी की है. पक्की घानी के सरसों तेल बनाने वाली कंपनियों को रोजाना लगभग दो लाख बोरी सरसों की आवश्यकता है.

बढ़ेगी सरसों की मांग

ऐसी स्थिति में मंडियों में सरसों की आवक काफी कम यानी दो से सवा दो लाख बोरी सरसों की ही है. आने वाले 10-15 दिनों में मांग और बढ़ेगी और ऑफसीजन होने के कारण मंडियों में सरसों की आवक कम होगी. इस स्थिति के कारण विदेशों में गिरावट के बावजूद सरसों के भाव पूर्ववत बने रहे.

हो सकती है सरसों बिजाई के दौरान दिक्कत

सूत्रों ने कहा कि सरकार को सरसों के अगले बिजाई के लिए अभी से सरसों का इंतजाम करना चाहिए जब बाजार में माल है. सरसों की अगली फसल बेहतर होने की संभावना को देखते हुए सरसों बीज का इंतजाम करना जरूरी है नहीं तो ऐन बिजाई के समय सोयाबीन की किल्लत जैसी ही दिक्कत आ सकती है.

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